सबसे अच्छा कौन है? मैं, बाबा या ड्रामा। कौन? बाबा ने ड्रामा की नॉलेज देकर अच्छा बना दिया तब कहते हैं बाबा बड़ा अच्छा है। ऐसी समझ दी है जो ड्रामा बड़ा अच्छा लगता है। हर सीन ड्रामा की देख, पार्ट बजाने वाला अच्छा वही होता है जो वैरायटी सीन देख सकता है। ड्रामा कल्याणकारी है, यह विश्वास हो चुका है। बाबा कल्याणकारी या ड्रामा कल्याणकारी है? मूंझते नहीं है पर जो क्वेश्चन उठते हैं तो बाबा उत्तर दे देता है। यह तो कहेंगे कि बाबा कल्याणकारी है, पर बाबा कहते हैं बच्चे हर ड्रामा में सीन तुम्हारे लिए कल्याणकारी है। संगमयुग है ना, कलियुग काला है, सतयुग सोने जैसे युग में जा रहे हैं। गोल्डन युग में इतने सुन्दर बन जाते हैं।
सारी दुनिया में कैसे लोग भी हैं, लेकिन शेर पर सवारी शक्ति की है। पाण्डव में भी शक्ति है, शक्तियों में भी शक्ति है। बाप से डायरेक्ट शक्ति हरेक ने ली है। शक्ति हर आत्मा को परमात्मा से पर्सनल खींचनी है। कोई किसी को नहीं दे सकता है, हाँ सहयोग दे सकते हैं। शक्ति प्रार्थना करने से भी नहीं मिलती है, मांगने से भी नहीं मिलती है। हुकुम चलाने से भी नहीं मिलती है। बाबा आप यह कर लो ना, हमारा काम जल्दी से करवा दो ना! ऐसे शक्ति नहीं मिलती है। बाबा के हुकुम पर चलने से शक्ति मिलती है। बाबा कहता, मैं जो कहता हूँ तुम कर लो, मेरे को नहीं बोलो, मेरा कर दो। मेरे को कहेंगे तो मैं नहीं करूंगा। मैं जो बोलता हूँ, पहले वो कर लो फिर सब करूंगा, हज़ार गुणा करूंगा। परन्तु भगवान से, सच्ची दिल से उसको अपना बनाकर, निश्चिंत रहकर, निश्चय के बल से अपने को जान, मेरे को पहचान, मेरा बाप कौन? जब तक अपने को नहीं जाना है, तो बाप को भी नहीं जान सकते। यह सिर्फ कॉपी पर नोट नहीं करो, दिमाग में नोट करो। अपने को अच्छी तरह से जान मैं शरीर नहीं, आत्मा हूँ। शरीर के नाम का भी महत्व है, मुझे किसी ने कहा कि तुम मेरे जान की, की हो। अपनी जान बचानी हो तो चाबी रखो अपने हाथ में। जिसको चाबी सम्भालना नहीं आता, उसकी लाइफ क्या होगी? उसके पास खज़ाना भरपूर है लेकिन चाबी नहीं है तो न खुद यूज़ कर सकता है, ना किसी को दान कर सकता है। तो बाबा ने कोई लॉकर में रखने के लिए खज़ाना नहीं दिया है। यहाँ तो लॉकर भी लूटने वाले हैं। बाबा खज़ाना देता है, अभी यूज़ करो और दान करो। यूज़ करो तो पर्सनैलिटी लगे कि हाँ इसके पास खज़ाना है। मस्तक से पता चलता है।
हमारा दिमाग इतना ठीक हो जो सेकण्ड में बात कैच कर सके। हमारी शक्ल शिकन वाली न हो। बाबा की समझ से अभी दिमाग ठीक काम करता है, करके पश्चाताप नहीं करता है, समय व्यर्थ नहीं गंवाता है। हर बात में, हर हालत में निर्णय करने की, परखने की शक्ति जिसकी तेज नहीं है वो समय गंवाता है, भाग्य गंवाता है। हाथों में भाग्य सामने है, सबकुछ है, पर उससे कैसे पदमापदम भाग्य बने, उसमें बुद्धि काम नहीं करती है।
बुद्धि स्वच्छ सोने जैसी चाहिए। सतोगुणी बुद्धि अच्छी चीज़ को अपनी तरफ खींच लेगी। उसमें हिम्मत बच्चे की, मदद बाप की। बाबा बड़ा जवाहरी है, बाबा देखता है कि यह हिम्मतवान बच्चा है, यह विजयी तो क्या, नूरे रत्न बनने वाली आत्मा है। इसको वैल्यू है अपने बाबा के ज्ञान रत्नों की, तो हज़ार गुणा वरदान दे देता है। फिर तन में, धन में, सम्बन्ध में, सबमें मदद मिलती है।