मन की बातें

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अनुभव – मेरा नाम भैरव नाथ है। मेरा अपनी साथी टीचर से चार महीने पहले झगड़ा हो गया था। मैंने आपके समाधान कार्यक्रम में क्षमा करने और क्षमा मांगने की बात सुनी तो मैंने सुबह उठकर ये प्रयोग किया। चार दिन मैंने ये प्रयोग किया और पांचवें दिन ही मेरे साथी टीचर का फोन आ गया मुझे माफ करना मुझसे गलती हुई। मैं आपसे मिलना चाहता हूँ। मुझे जैसे अपने कानों पर तो विश्वास ही नहीं हुआ कि ये कैसे हो गया। मैं उनसे मिलने जा ही रहा था कि मेरी पत्नी ने मुझे रोका मत जाओ घर में कुछ काम है। मैं नहीं जा पाया लेकिन वो खुद ब खुद मेरे घर पर आये। सचमुच मैंने ये पाया कि राजयोग के प्रयोग अद्भुत हैं, इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

प्रश्न : मैं रेलवे से रिटायर्ड चन्द्रकिशोर ठाकुर हूँ। सभी बच्चे वेल सेटल्ड हैं। घर में भी सभी सुख-सुविधाओं के साधन हैं। किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है। लेकिन फिर भी मेरा मन बहुत परेशान रहता है। कई बार तो मैं अकारणें ही बहुत परेशान हो जाता हूँ। इसका क्या कारण है, कृपया मुझे कुछ सुझाव दें?
उत्तर : मैं आपको सबसे पहले राजयोग सीखने की सलाह दूँगा और सिर्फ राजयोग ही नहीं बल्कि आप रोज़ सेवाकेन्द्र पर जाकर ईश्वरीय ज्ञान का श्रवण करें। ये जो आपको परेशानी रहती है, खुशी नहीं रहती या बिना मतलब मन उचाट-सा रहता है, इसके कई कारण हो सकते हैं। निगेटिव थिंकिंग हो सकती है। आप फ्री रहते हैं तो अगर टीवी ज्य़ादा देखते हैं तो भी ये कारण बन सकता है। क्योंकि आजकल टीवी, इंटरनेट पर बहुत निगेटिव चीज़ें आ गई हैं जिनके लोग शिकार हो रहे हैं। और दूसरा कारण जो देखने में आता है कि जन्म-जन्म का जो कार्मिक अकाउंट होता है। हमने हज़ारों साल से जो कर्म किए हैं वो सबकॉन्शियस माइंड(अवचेतन मन) में प्रिंट हैं, छुपे हुए हैं तो उनसे निगेटिव एनर्जी बहुत निकल रही है क्योंकि मनुष्य के पाप ज्य़ादा रहे और पुण्य कम। विकारों को भी हम पाप ही कहते हैं। विकार और पाप दोनों मिक्स होकर सबकॉन्शियस माइंड में जो स्टोर हैं, भरे हुए हैं उनसे जो लगातार निगेटिव एनर्जी ब्रेन को पहुंच रही है वो भी मनुष्य को कहीं न कहीं परेशान करती रहती है। इसलिए अगर आप ईश्वरीय ज्ञान लेंगे तो आपको रोज़ नये थॉट्स मिलेंगे, और जीवन जीने का एक नया तरीका मिलेगा। आपके पास जो फ्री टाइम रहता है उसको कुछ अच्छे कार्यों में, सेवाओं के कार्य में लगाने का आपको प्लान मिलेगा, एक अच्छी प्लानिंग मिलेगी। और जब आप राजयोग का अच्छे से अभ्यास करेंगे तो आपके अन्दर जो निगेटिव एनर्जी है या फिर जो कार्मिक अकाउंट हैं, बुरी चीज़ें जो सबकॉन्शियस माइंड में भरी हुई हैं वो क्लीन होती जायेंगी और आपका मार्ग साफ होता जायेगा। और आप अपनी जीवन की अंतिम यात्रा को एन्जॉय करेंगे।

प्रश्न : मेरी बेटी ने दो मास पहले 12वीं क्लास का रिज़ल्ट आने के बाद सुसाइड कर लिया। वो पास हो गई थी। परिवार की तरफ से भी उसपर कोई दबाव भी नहीं था। उसके सभी दोस्तों से भी हमने बात की लेकिन ऐसी-वेैसी कोई बात नहीं थी। हमारी समझ में ही नहीं आ रहा कि उसने ऐसा क्यों किया! घर का माहौल तब से बहुत गमगीन रहता है। मैं बाबा के ज्ञान में हूँ लेकिन मन बहुत अशांंत हो गया है, क्या करूँ?
उत्तर : क्या होता है, सुसाइड करने के बाद आत्मा भटक जाती है, उसको पुनर्जन्म नहीं मिलता। उसे कुछ अच्छे वायब्रेशन्स की ज़रूरत होती है जिससे उसका मन शांत हो जाये। चाहे उसने सुसाइड इमोशनल होके कर लिया हो। जो कुछ भी किया तब आत्मा बहुत पछताती है। क्योंकि जब उसे पुनर्जन्म नहीं मिलता है तो इसी कारण से वायब्रेशन्स बहुत निगेटिव रहते हैं क्योंकि बहुत बार वो वहीं विचरण करती है। अब वो हैल्प चाहती है लेकिन मांगे कैसे। उसके पास अब शरीर नहीं है। वो आवाज़ नहीं दे सकती। जैसा कि हम बहुत बार कहते आये कि कोई भी व्यक्ति जब सुसाइड करता है तो उसकी अंतिम स्थिति जो होती है दु:खभरी, बहुत अशांति की होती है। वो वैसी ही बनी रहती है। तो उसके वो वायब्रेशन्स घर में आते रहते हैं। इसलिए घर का वातावरण बड़ा ही गमगीन, त्रस्त रहता है। आपने राजयोग सीखा है। तो मैं आपको राय दूँगा कि दिन में दो बार आधा-आधा घंटा अपने घर में मेडिटेशन करेंगे। और उस आत्मा के लिए शांति के वायब्रेशन्स देंगे। ताकि उसका चित्त शांत हो जाये। अब ज़रूरत इस चीज़ की है उसका चित्त शांत होगा तो आपका चित्त भी शांत होगा। उसको पुनर्जन्म मिलेगा तो आप भी निश्चिंत हो जायेंगे। जैसे घर का व्यक्ति कोई भटक रहा हो और उसको ठिकाना मिल जाये तो घर वालों का चित्त भी शांत हो जाता है, निश्चिंत हो जाते हैं। तो जब उसको ठिकाना मिलेगा तब आपके चित्त को भी चैन आ जायेगा। पहले 21 दिन करें। फिर 21 दिन करें और फिर 21 दिन करें। तीन बार 21-21 दिन, आप अपने घर में इस तरह के गुड वायब्रेशन्स, शांति के वायब्रेशन, प्युरिटी के वायब्रेशन फैलाने के लिए मेडिटेशन करें। लेकिन आप उस आत्मा के लिए कुछ पुण्य भी करें। और पुण्य में बहुत बड़ा पुण्य होता है कि भगवान को भोग लगवा देना उनके निमित्त। तो परमात्म ब्लैसिंग भी उसे मिलने लगती हैं और उसका चित्त भी शांत होने लगेगा। दूसरा उसके निमित्त पवित्र आत्माओं को, ब्राह्मण आत्माओं को ब्रह्मा भोजन खिला देना ये बहुत बड़ा पुण्य है। ये सब कार्य आपको अवश्य करने चाहिए।

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