जब कोई आपको गलत कहे, अपमान वाली भाषा का उपयोग करे, झूठ बोले- आप साक्षी होकर देखते रहिए। बिल्कुल स्थिर होकर संयम से…
हम अक्सर कहते हैं कि किसी से अपेक्षाएं रखना नॉर्मल है। मतलब मुझे जो सही लगता है, वो वैसा करेंगे। जब हम उनसे ऐसी अपेक्षा रखते हैं तो वो भी हमसे अपेक्षाएं रखते हैं। और जब अपेक्षा पूरी नहीं होती तो मन दु:खी हो जाता है। और दु:खी होकर हम कहते हैं कि आपने मुझे हर्ट किया। कभी भी किसी पर अंगुली रखकर ऐसे नहीं बोलना कि आपने मुझे हर्ट किया। मन में भी नहीं। क्योंकि हमें कोई हर्ट नहीं कर सकता। हमारा कोई अपमान नहीं कर सकता। वो सिर्फ व्यवहार कर सकते हैं। सिर्फ बोल सकते हैं। वो भी अपने संस्कारों के नज़रिए से, लेकिन हम जो सोचते हैं उसके बाद पीड़ा तो हमारे मन में ही पैदा होती है।
एक मिनट आंखें बंद करो और उनको सामने लेकर आओ। जिन्होंने जो भी उस दिन किया था, उसको सामने लेकर आओ। देखो उन्होंने उस दिन क्या व्यवहार किया था। क्या बोला था उन्होंने उस दिन? वो उनका संस्कार था, तो उस दिन की उनकी मन की स्थिति थी, वो उनका नज़रिया था, वो उनका व्यवहार था, वो सबकुछ उनका था। वो एनर्जी उनकी थी उस दिन। उनके मन की स्थिति डिस्टर्ब थी। तो उस दिन उन्होंने अपना अपमान किया, आपका नहीं। आप उस बात को अपने मन से साफ करते हैं। और उनको उस दिन के लिए, उस बात के लिए क्षमा करके बात को खत्म करते हैं तो आप इसे सिद्ध करते हैं कि कोई मेरा अपमान नहीं कर सकता। जब वो ऐसा व्यवहार करते हैं तो वो अपना अपमान कर रहे होते हैं। मैं आत्मा हूँ और अपने स्तर पर बिल्कुल ठीक हूँ। मेरे मन की स्थिति उनके व्यवहार से डावांडोल नहीं हो जाती है। आप उनके उस व्यवहार को अपने मन से डिलीट करते हैं। तीन बार अंदर से अच्छे से मन में बोलें कि वो उनकी मनोदशा, उनका नज़रिया था। वो दर्द में थे उस दिन। ये करना बहुत ज़रूरी है। नहीं तो आत्मा पर चोट पर चोट लगती रहती है।
एक क्षण में आत्मा शरीर छोड़ती है। और अपने साथ ये चोट, घाव साथ में ले जाती है आगे। कभी भी कोई हमारे बारे में कुछ भी कहे, कभी भी कोई हमसे कोई व्यवहार करे, एक क्षण में अपने आपको याद दिलाना कि ये उनका संस्कार है, ये उनका व्यवहार है इस समय। ये इस समय उनके मन की स्थिति है। वो उनके संस्कार से व्यवहार करेंगे। लेकिन हम किसके संस्कार से व्यवहार करेंगे? हम तो अपने ही संस्कार से व्यवहार करेंगे।
वो सिर्फ ज़ोर से चिल्ला सकते हैं। लेकिन वो हमें हर्ट नहीं कर सकते। हर्ट हमें कौन करेगा? हम खुद ही करेंगे। जब हम उनके बारे में वैसा सोचेंगे तब। कोई हमें हर्ट नहीं कर सकता। लोग हमें धोखा दे सकते हैं। लोग हम पर चिल्ला सकते हैं। उनमें से कोई हमें शारीरिक रूप से भी चोट पहुंचा सकता है। लेकिन हमारे मन के अंदर घुसकर कोई हमें हर्ट नहीं कर सकता। वहां तो सिर्फ एक ही व्यक्ति हमें हर्ट करता है, वो हैं हम खुद।
जब कोई आपको गलत कहे, अपमान वाली भाषा का उपयोग करे, झूठ बोले- आप साक्षी होकर देखते रहिए। बिल्कुल स्थिर होकर संयम से। तब आप किसी दूसरे के व्यवहार को अपने ऊपर हावी नहीं होने देंगे कि उसने मेरा अपमान किया।