हम बाबा के साथ इस सृष्टि रूपी खेल में खिलाड़ी हैं। खिलाड़ी बनकर खेल को देखते तो मजा ही मजा है। हम जो कर्म करते हैं उसके लिए हमें हर प्रकार की नॉलेज हो। नॉलेज इज़ पॉवर।
बाबा ने हम बच्चों को प्रवृत्ति में रहते निवृत्त रहने, कर्म करते भी कर्म से अकर्मी बनने की पूरी नॉलेज दी है। जिस नॉलेज के आधार पर प्रवृत्ति में हम बैलेन्स रखकर चलते हैं, प्रवृत्ति को निभाते भी उससे निवृत्त रहने की शक्ति अपने पास जमा हो। निवृत्त रहने के लिए हर कर्म में आने से पहले अपने को डिटैच करो, एक सेकण्ड अशरीरी बनो फिर कर्म करो तो वह कर्म गलत नहीं हो सकता।
देही अभिमानी बन फिर देह के भान में आकर कार्य व्यवहार शुरु करें तो उस कार्य का न अभिमान होगा, न बोझ होगा। न रॉन्ग होगा, न डिस्टर्ब होंगे क्योंकि यह नॉलेज है कि मैं आत्मा साक्षी बनकर इन कर्मेन्द्रियों से यह कार्य कराती हूँ। तो साक्षी व दृष्टा बन इन कर्मेन्द्रियों के द्वारा ऐसे कर्म करेंगे जैसे ऊंची स्टेज पर बैठकर एक्टिंग देखते हैं। जो रॉन्ग कर्म होता है वह दिखाई पड़ता है। साक्षी हो कर्म करने से बैलेन्स आ जाता। लॉ और लव का बैलेन्स परमार्थ और व्यवहार का बैलेन्स… दोनों का सही-सही बुद्धि में जजमेंट रहे। अगर बुद्धि सही जजमेंट नहीं देती है, समय पर राइट टच नहीं होता है, तो रॉन्ग कर्म हो जाता फिर बुद्धि पर बोझ होता इसलिए अटेन्शन प्लीज़। माना स्व की सीट पर अटेन्शन से हरेक बात की रिज़ल्ट का मालूम पड़ता है।
त्रिकालदर्शी होने से जवाब मिलता – नथिंगन्यू। जो हुआ कल्याणकारी हुआ। एकदम भविष्य का फायदा बुद्धि में टच होगा जबकि हम जानते हैं कि स्थापना भी होनी है तो विनाश भी होगा, अनेक प्रकार के सृष्टि के खेल चलेंगे तो खिलाड़ी बनकर खेल देखें या रोयें। टेन्शन माना मन का रोना। खिलाड़ी होकर खेलना माना हँसते-हँसते नाचते रहना। तो हम बाबा के साथ इस सृष्टि रूपी खेल में खिलाड़ी हैं। खिलाड़ी बनकर खेल को देखते तो मजा ही मजा है। हम जो कर्म करते हैं उसके लिए हमें हर प्रकार की नॉलेज हो। नॉलेज इज़ पॉवर। अपनी स्थिति को ऊंचा रखने के लिए बाबा ने हमें मंत्र दिया है- मनमनाभव, मध्याजी भव और मामेकम याद करो। यह मंत्र ही अजपाजाप है। बाबा से हमें पहला वर्सा मिला है- ज्ञान रत्नों का, दूसरा वर्सा है सर्वशक्तियों का। जब स्वयं ऑलमाइटी ने हमें शक्तियां दी, अथॉरिटी दी तो स्थिति कमज़ोर क्यों बनती! सब कारणों का निवारण है शक्तियां।
हम शिव शक्ति पाण्डवों के सामने यह माया क्या है! बाबा कहते यह माया है छुई मुई। इसे अंगुली दिखाओ तो मुरझा जायेगी। अगर संकल्प की सृष्टि बनाओ तो बड़ी माया है। संकल्प को शक्तिशाली बनाओ तो माया छुई मुई हो जायेगी। तो माया से बचने का साधन है- अपने को मास्टर सर्वशक्तिवान के बच्चे समझो, शक्तिशाली रहने से माया की शक्ति छू नहीं सकती।