स्टूडेंट और पढ़ाई एक ही सिक्के के दो पहलू की तरह हैं। पढ़ाई का मतलब सिर्फ रीड करना नहीं बल्कि उसे पढऩा और उसे दिमाग में समाना भी है अर्थात् जिसे हम अपनी मेमोरी में रजिस्टर करना कह सकते हैं। मेमोरी पॉवर को शार्प करना या अपने ज्ञान की वृद्धि करना उसके लिए मुख्यत: तीन बिन्दु:- रजिस्टर, रिटेन व रिकॉल पर सोचेंगे और समझेंगे।
जो भी हम पढ़ते हैं, देखते हैं, सुनते हैं उसे सबसे पहले अपनी मेमोरी में रजिस्टर करना ज़रूरी है। इन्फॉर्मेशन कहां से किसी भी ओर से आती है। सुनने से, देखने से और स्पर्श करने से उसे हूबहू अपनी मेमोरी में रजिस्टर करना यानी कि अपने अन्दर प्रवेश करना है। कई बार कहते हैं ना! टीचर ने सुनाया था लेकिन पूरी तरह से याद नहीं आ रहा, आधा-अधूरा याद आता है। इसका मतलब है कि वह ज्ञान व इन्फॉर्मेशन विधि पूर्वक रजिस्टर नहीं हुआ, अपने मेमोरी में ठीक तरह से दर्ज नहीं हुआ।
दूसरी बात जो मेमोरी में रजिस्टर किया है उसे रिटेन करना भी उतना ही आवश्यक है। माना कि उसे मेमोरी बैंक में उसी तरह जमा करना। साथ ही उसे व्यवस्थित रूप से सार-सम्भाल करना ताकि हमें उसकी ज़रूरत हो तब उसका उपयोग कर सकें। ठीक उसी तरह जैसे बैंक में जमा की हुई राशि। वे हम तब कर सकेंगे जब उसे उचित तरह से रखा होगा और समय प्रति समय हमने देखा होगा। कहीं वेदर की चपेट में वो खराब या नुकसान तो नहीं हो गया! अगर वो खराब हो गया तो वक्त पर उपयोग करना चाहें तो कर नहीं सकेंगे।
मेमोरी को रि-कॉल करना परम आवश्यक है जितना की रिटेन करना। रि-कॉल का मतलब है कि जो हमने मेमोरी बैंक में जमा किया है उसे उसी रूप में चेक करना, उसे समझना, उसी स्वरू प की अनुभूति करना, रियलाइज़ करना है। जैसे एक सोल्जर अपने अस्त्र-शस्त्र की देखभाल करता, उसको यूज़ करके देखता और साथ ही साथ उनका अभ्यास भी करता। उसी तरह एक तेजस्वी छात्र भी समय प्रति समय जो पढ़ा है, सुना है उसे अपनी तरह से खुद ब खुद पेपर लेता है और उसे छुड़ाता है। क्योंकि जो मेमोरी में है वो उसे याद है और उसका उपयोग व प्रयोग कब, कहाँ, कैसे और उचित समय पर करना है। ताकि रियल में परिक्षा में उसे छुड़ा व सोल्व कर सके। इस तरह करने से उनका निजी विश्वास बन जाता है और अपनी तैयारी करने के कारण घबराता नहीं। ये उनका अनुभव बन जाता है। ऐसा बार-बार करने से वो सही तरह से उसका इस्तेमाल कर सकेगा। उसके विपरित अगर बैंक में जमा कर दिया और उसे देखा ही नहीं, स्मृतियों में लाया ही नहीं तो समय पर धोखा ही मिलेगा ना!
श्रेष्ठ विद्यार्थी वह है जो मिले हुए ज्ञान का मनन करता, चिन्तन करता और मंथन भी। क्योंकि बार-बार मानस पटल पर लाने से वो स्मृतियां तरो-ताज़ा रहती है। और उसे उचित समय पर इस्तेमाल भी कर सकता है। जैसी परिस्थिति वैसी ही स्मृति को रि-कॅाल कर उस परिस्थिति में उपयोग व प्रयोग कर उसे पार कर लेगा। अर्थात् बाह्य परिस्थितियों के प्रभाव से मुक्त रहकर उसे हैंडल भी सही तरह से कर सकेगा। यानी कि वो सहज, सरल और शान्तचित्त स्थिति से बिना विचलित हुए आगे बढ़ेगा। घबरायेगा नहीं, हलचल में नहीं आयेगा। क्योंकि उनकी तैयारियों पर उसका पूरा भरोसा और विश्वास होने के कारण परिस्थिति में भी पराक्रम का अनुभव करेगा। परिणाम स्वरूप वह हिम्मत, उमंग-उत्साह और खुशी से झूमेगा और ज्य़ादा शक्तिशाली महसूस करेगा।
हम जीवन में जो भी देखते हैं, सुनते हैं उसी बताई हुई विधि से अगर अपनी मेमोरी को, मेमोरी बैंक को समय प्रति समय सार-सम्भाल भी करेंगे और उसका अभ्यास करेंगे और साथ-साथ मनन-चिन्तन करते रहेंगे तो कभी हार नहीं होगी। सफलता उसे सदा आगे बढ़ाने का जज़्बा पैदा करेगी। उनकी चाल और चलन में खुशी की झलक दिखाई देगी। ठीक है ना, क्या सोच रहे हैं! अगर आपको विधि समझ में आई है तो आप उसे अपनायें और श्रेष्ठतम लक्ष्य की ओर तीव्रता से हिम्मत का कदम बढ़ाये।