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लालच पर नियंत्रण

एक समय की बात है, एक व्यक्ति जिसका नाम मोहन था। मोहन बहुत ही ज्य़ादा मेहनती एवं कार्यशील था। पूरा गांव उसकी तारीफ किया करता था।
एक बार जब मोहन अपने घर के बाहर बैठा था तभी उसे एक बूढ़ा व्यक्ति दिखा जोकि अपने सामान को उठा नहीं पा रहा था। मोहन उसके पास गया और उससे कहा क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ? बूढ़े बुज़ुर्ग ने कहा कि अगर तुम मेरी मदद करते हो तो मैं तुम्हें 10 सोने के सिक्के दूंगा।
बस तुम्हें मेरे साथ चलकर दूसरे गांव में इस सामान को पहुंचाना है, मोहन राज़ी हो गया क्योंकि 10 सोने के सिक्के एक बड़ी रकम थी। उस व्यापारी के पास तीन पोटली थी जिनका आकार काफी बड़ा था।
मोहन ने व्यापारी से पूछा कि इसमें क्या है? व्यापारी ने जवाब दिया कि इसमें तांबे के सिक्के हैं। मोहन बहुत अचंभित हुआ, कुछ देर बाद रास्ते में एक नदी पड़ी।
तब व्यापारी ने कहा कि मैं नदी को पार नहीं कर पाऊंगा। कृपया तुम मेरी एक और पोटली ले लो। मोहन ने पोटली ले ली और व्यापारी ने बताया कि इसमें चांदी के सिक्के हैं्र। यह सुनने के बाद मोहन काफी ज्य़ादा हैरान हुआ। परंतु उसने नदी पार की।
काफी दूर जाने के बाद पहाड़ी आई, व्यापारी ने कहा कि मैं इस पहाड़ी को पोटली के साथ नहीं चढ़ पाऊंगा इसलिए तुम मेरी यह आखिरी पोटली भी ले लो।
परंंतु भाग मत जाना मैं तुम्हारा पीछा नहीं कर पाऊंगा, इसमें मेरी जि़ंदगी भर की कमाई है। इसमें सोने के सिक्के हैं, यह सुनने के बाद मोहन और भी ज्य़ादा हैरान हुआ।
मोहन जल्दी से पहाड़ी पर चढ़ गया और बूढ़ा व्यापारी धीरे-धीरे पहाड़ी पर चढ़ रहा था तभी मोहन के मन में लालच जागा कि यदि मैं यह तीनों पोटली लेकर भाग जाऊं तो बुज़ुर्ग मुझे पकड़ भी नहीं पाएगा और मेरा जीवन बेहतर हो जाएगा।
उसने ऐसा ही किया, वह तीनों पोटली लेकर भाग गया। जब उसने घर पर जाकर उन पोटलियों को खोला तो उनमें लोहे के सिक्के थे। यह देख मोहन को बहुत गुस्सा आया कि उस व्यापारी ने उससे झूठ बोला।
परंतु मोहन ने जब ध्यान से देखा तब उसे एक पत्र मिला जिसमें लिखा था कि यह मेरे द्वारा बनाया हुआ एक खेल है, मैं इस नगर का राजा हूँ।
मैं एक ईमानदार व्यक्ति की तलाश कर रहा हूँ। परंतु तुम इस पोटली को लेकर भाग चुके होंगे तभी तुम यह पत्र पढ़ रहे हो। तुम लालची हो, तुम्हारे मन में लालच जाग गया यदि तुम मेरे साथ-साथ चलते तो आखिर में मैं तुम्हें चुन लेता और तुम नगर के राजा बन जाते।
यह पढऩे के बाद वह लडक़ा बहुत पछताया और बहुत रोया। परंतु अब उसके पास पछतावे के अलावा कुछ नहीं बचा था क्योंकि उसने अपनी जि़ंदगी को बदलने का अवसर खो दिया था। उसकी मुख्य वजह थी उसका लालच जिसने उसे आगे नहीं बढऩे दिया।

सीख : लालच मानव जीवन की वह उपस्थिति है जिसके द्वारा ईश्वर हमें आजमाता है। यदि कोई व्यक्ति खुद के लालच पर नियंत्रण पा ले तो वह सदा कामयाबी की तरफ बढ़ता जाएगा। परंतु जिसने अपने लालच पर नियंत्रण नहीं किया वह व्यक्ति कभी भी कामयाब नहीं हो पाएगा एवं हमेशा घृणा की दृष्टि से देखा जाएगा।

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