हम मेडिटेशन करते हैं तो हमारे बोल में, कर्म में, संकल्प की क्वालिटी में गुणवत्ता या सकारात्मकता दिखाई देने लगती है। मेडिटेशन का मतलब ही है आत्मनिहित सकारात्मक ऊर्जा को व्यावहारिकता प्रदान करना, विकृतियों पर विजय प्राप्त करना। देखें आयी परिस्थितियों पर हमारा सकारात्मक रूख रहता है! ये पैरामीटर अपने पर चेक करें तो पता चलता है कि हमारे में परिवर्तन आया है या नहीं!
कई बार कई लोग हमसे ये प्रश्न करते हैं कि बहन जी कहीं ऐसा तो नहीं हम सोच रहे कि हमारी बैटरी चार्ज हो रही है, हो रही है, लेकिन होती कुछ नहीं। कैसे पता चले कि हां मेरी बैटरी चार्ज हो रही है! मैं आगे बढ़ रहा हूँ मेडिटेशन में या नहीं, ये मुझे कैसे पता चले?
बहुत सिम्पल बात है कि जिस तरह से आज की दुनिया के अन्दर रिचार्जेबल बैटरीज़ आती हैं। जब उसको यूज़ करते हैं तो डिस्चार्ज हो जाती है, फिर उसको चार्जर में रखो तो वो रिचार्ज हो जाती है। अब ये डिस्चार्ज और रिचार्ज कैसे हुई? तो सिम्पल साइंटिफिक लॉजिक यही कहता है कि बैटरी के भीतर जो केमिकल कॉम्पोनेंट्स हैं जब उसको यूज़ करते हैं तो वो डिस-ऑर्गनाइज्ड़ हो जाता है, और जब सम्पूर्ण डिस-ऑर्गनाइज्ड़ हो गया माना बैटरी डिस्चार्ज हो गई। ठीक इसी तरह मेडिटेशन चार्जर है लेकिन कैसे पता चले, तो इस बैटरी के एग्ज़ाम्पल से हम स्वयं को भी अगर देखें तो आज आत्मा की बैटरी डिस्चार्ज है उसका प्रमाण क्या, तो उसका प्रमाण यही है कि हमारे भी भीतर की जो मैकेनिज़्म है, सारी अस्त-व्यस्त हो गई है, डिस-ऑर्गनाइज्ड़ है। जैसे मन के अन्दर कभी-कभी बहुत सुन्दर विचार आते हैं लेकिन जब भावनाओं को देखते हैं तो भावनाएं कुछ और होती हैं, महसूसता कुछ और हो रही है, मनोवृत्ति कुछ और है, दृष्टिकोण कुछ और है, वाणी कुछ और निकल रही है, व्यवहार कुछ और है और कर्म कुछ और है, माना कहीं पर भी सु-व्यवस्थित नहीं है। इसीलिए कई बार लाइफ में फ्रस्ट्रेशन आता है कि जो मैं सोच रहा हूँ, वो मैं महसूस क्यों नहीं कर पाता! वो मेरी वाणी क्यों नहीं है या वो मेरी भावनायें क्यों नहीं हैं, वैसा मेरा व्यवहार क्यों नहीं है! तो डिस-ऑर्गनाइज्ड़ है, बैटरी डिस्चार्ज है।
अब मेडिटेशन चार्जर है लेकिन जब हम अपने आप को उस परम स्रोत के साथ जोड़ते हैं, मन और बुद्धि ये दो पिन हैं जब उसको जोड़ते हैं हम उस परमात्मा के साथ, तो जो ईश्वर से करेन्ट आती है वो दिखाई नहीं पड़ती है लेकिन उस करेन्ट से हमारे भीतर एक परिवर्तन की प्रक्रिया आरम्भ होती है और ये परिवर्तन ही प्रमाण है कि बैटरी चार्ज हो रही है। वो परिवर्तन भी सकारात्मक परिवर्तन। जो खुद को भी महसूस होता है और हमारे आस-पास वालों को भी महसूस होता है।
इसलिए कई बार कई लोग कहते भी हैं जब से इसने मेडिटेशन शुरू किया है तब से उसमें बहुत चेंज आ गया है। पहले तो कैसे रफ-डफ बात करता था, असभ्य शब्द निकलते थे लेकिन अब उसके अन्दर जैसे धैर्यता, गम्भीरता आ गई है, बहुत जल्दी रिएक्टिव नहीं है, पहले तो बहुत जल्दी रिएक्टिव और छोटी-छोटी बातों में इतना टेन्शन ले लेता था। अभी इतना टेन्शन नहीं है। तो ये चेंज, ये परिवर्तन जो दिखाई देता है, ये प्रमाण है कि शक्ति आई है तभी तो ये परिवर्तन हुआ है।
डिस्चार्ज बैटरी है उसका प्रमाण क्या? उसका प्रमाण यही है कि छोटी-छोटी बातों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन, टेन्शन, मिस-अन्डरस्टेडिंग, मूड-ऑफ, माइंड डिस्टर्ब होना- ये सारे लक्षण हैं कि बैटरी डिस्चार्ज है। तो बैटरी चार्ज हो रही है तो मनुष्य के अन्दर धैर्यता, गम्भीरता, शान्ति ये स्वाभाविक आने लगती हैं। लाना नहीं पड़ता है, ये कोई दिखावे की बात नहीं है लेकिन जैसे-जैसे बैटरी चार्ज हो रही है जो सोच रहा है वही महसूस करने लगता है, वही उसकी वाणी निकलती है तो सारी इंटर्नल मेकैनिज़्म एक-दूसरे से हार्मनी में फंक्शन करने लगती है। और जैसे ही ये हार्मनी होने लगी, सु-सवांदिता आई, जीवन इतना सरल, सहज होने लगता है। इसलिए कहा कि बैटरी चार्ज होने का प्रमाण है कि अब छोटी-छोटी बातों में टेन्शन नहीं। कोई बात हुई, सहजता से हो जायेगा, पार हो जाता है। किसी ने कुछ कहा फील नहीं किया, ठीक है उसने अपने समझ के हिसाब से बोला। ये उसकी समझ है, मेरी समझ क्या है? तो व्यक्ति के भीतर पर्सनैलिटी में काफी चेंज आता है। तो ये प्रणाम है कि बैटरी चार्ज हुई है।



