इस संसार मेें हम जो कुछ देखते हैं, वह सब हमारे विचारों का ही मूल रूप है। आप जो हैं, आपके पास जो है सब आपके विचारों की बदौलत है। यह समस्त सृष्टि विचारों का ही चमत्कार है, जिस प्रकार के विचार होंगे, सृजन भी उसी प्रकार का होगा।
एक हकीकत से रूबरू हम कराना चाहते हैं, जापान में पाई जाने वाली मछली ”कोई” प्रजाति है। उसका जन्म के समय एक या डेढ़ इंच का साइज़ होता है। अगर इस मछली को एक टब में पाला जाए तो वह सिर्फ दो या तीन इंच बढ़ती है। यदि उसे किसी वॉटर टैंक में रखा जाए तो वह 8 से 10 इंच बढ़ेगी और यदि उसे तालाब में पाला जाए तो वह दो-तीन फीट तक बढ़ जाती है।
अब समझना यह है कि इस मछली का विकास अलग-अलग तरह से कैसे होता है? दरअसल इस प्रजाति की मछली अपने परिवेश के आधार पर स्वयं के विकास को सीमित करके बढ़ती है। वह सोच लेती है कि मेरे तैरने के लिए बस इतनी ही तो जगह है। यही बात आज मनुष्य पर लागू होती है कि अगर आपने स्वयं को सीमित कर लिया तो आपका विकास भी उस मछली की तरह ही रहेगा।
कहा जाता है कि विचार पुष्पों के समान है और सोचना उसको सुंदर माला के रूप में पिरोने के समान है क्योंकि विचारों से ही व्यक्ति ऊपर उठता है तो विचारों से ही गिर भी जाता है। दूसरे के विचारों को अपने विचारों से मिलाना यही है- रिगार्ड देना। इस संसार से हम जो कुछ देखते हैं, वह सब हमारे विचारों का ही मूल रूप है। यह समस्त सृष्टि विचारों का ही चमत्कार है, जिस प्रकार के विचार होंगे, सृजन भी उसी प्रकार का होगा।
अच्छे विचार, अच्छा होने के लिए प्रेरित करते हैं
हर विचार, हर स्थिति, हर कार्य में एक आकर्षण होता है, जो अपनी ही तरह के और विचारों, स्थितियां और क्रियाकलापों को खींचता है। यह प्रकृति का अनकहा नियम है कि अच्छाई, अच्छा होने के लिए प्रेरित करती है। हमारी भीतरी दुनिया अर्थात् हमारा रवैया और विचार ही हमारी बाहरी दुनिया अर्थात् हमारे कार्य और व्यवहार को बनाते हैं। यदि हमारी सोच लगातार नकारात्मक रहेगी तो असफलताओं और निराशा को अपनी ओर खींचते रहेंगे।
मन में सदा सकारात्मक विचार ही चलते रहें
यदि व्यक्ति सफलता के बारे में सोचता है तो सफलता अवश्य मिल जाती है। इसी तरह असफलता के बारे में सोचने से असफलता मिलती है। इसलिए सदा सफलता के बारे में ही सकारात्मक सोचें, असफलता के बारे में कभी ना सोचें। यह कभी ना सोचें कि मैं इसे नहीं कर सकता। जबकि अपनी चिंतन-प्रक्रिया पर इस विचार को हावी होने दें कि मुझे सफल होना ही है। सफल होने के लिए तीन बातें हैं :- 1. उत्साह, 2. जिज्ञासा, 3. विनम्रता। उत्साह चुंबकीय होता है, यह दूसरों को भी रोमांच, ऊर्जा और स्फूर्ति से भर देता है और जिज्ञासु बने रहें। विनम्रता को अपनाएं क्योंकि जो सबसे सफल व्यक्ति होता है, उसमें भी अहंकार होता है लेकिन वे लोग इसे दबा देते हैं और विनम्रता अपना कर दूसरों की सेवा करते हैं।
अधिक सोचना भी एक बड़ी समस्या है
आज हम वो हैं, जो हमारी सोच ने बनाया है। इसलिए इस बात का सदा ध्यान रहे कि आप क्या सोचते हैं? शब्द गोण हैं परंतु विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं। मनुष्य जीवन में अधिक सोचना, इस समय की सबसे बड़ी समस्या है। ज्य़ादा सोचना इसके दो रूप हैं:- 1. बीती बातों का चिंतन करके दु:खी होना और 2. भविष्य को लेकर चिंतित रहना अर्थात् अधिक सोचने वाला व्यक्ति सदा परेशान ही रहता है। चिंता का हल तो नहीं है परंतु अनिर्णय की स्थिति बनी रहती है और ज्य़ादा सोचना आत्म विश्लेषण भी नहीं है क्योंकि आप स्वयं जानते हैं कि आप में क्या कमियां हैं, तो उन्हें पहचानें, गलतियों से सबक लेकर बेहतर बनने का प्रयास करें। ज्य़ादा सोचना आपके लिए किसी भी लिहाज़ से उचित नहीं है और ना ही इसका कोई फायदा मिलता है लेकिन आप दु:खी, परेशान, चिंतित, कुठित, हताश-निराश ज़रूर रहते हैं।
व्यक्ति बड़ी बातों से नहीं, अच्छे विचारों से महान बनता है
अच्छे विचार व्यक्ति का भाग्य निर्धारित करते हैं इसलिए हमेशा अच्छी बातें ही सोच कर कार्य करें और महान बनें। व्यक्ति बड़ी बातों से नहीं बल्कि अच्छे विचार व अच्छे कर्मों से महान माना जाता है। आपकी अच्छी सोच ही आपके कार्य को निर्धारित करती है। यदि व्यक्ति निरंतर अपनी गलतियों, दु:ख, समस्याओं, दोष-अवगुणों के बारे में ही विचार करता रहेगा तो वो अवसाद और दुश्चिंता जैसी समस्याओं का शिकार बनता रहेगा। मानसिक समस्याओं से ग्रसित व्यक्ति यदि ज्य़ादा सोचता है तो बीमारियां भी बढऩे लगती हैं और इस तरह एक दुष्चक्र जीवन शुरू हो जाता है।
विचारों की शक्ति का कोई दायरा नहीं होता है
मनुष्य की श्रेष्ठता का आधार ऊंचा आसन नहीं बल्कि ऊंची सोच है। बुद्धि ही मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी है। हमारे विचार हमारा नियत्रंगण करते हैं। अनेक बार हम सोचने की बजाए, चिंता करने लगते हैं। चिंता करने और विचार करने में अंतर होता है। चिंता करने से कभी-कभी काम तो होता है लेकिन कामयाबी हासिल नहीं होती। विचार करने में हम आगे बढ़ते हैं और नए आयाम खोज पाते हैं। विचारों की शक्ति का कोई दायरा नहीं होता है, वह असीमित है। यदि आपकी सोच अच्छी है तो आप अकेले नहीं हो क्योंकि एक अच्छी सोच सौ मित्रों के बराबर होती है। कोई व्यक्ति यह सोचकर नहीं जीता कि दुनिया उसके बारे में क्या सोचती है। वह यह सोचकर जीता है कि मैं अपने बारे में क्या सोचता हूँ?
विचार ही पद, पैसा और प्रतिष्ठा से अधिक अनमोल है
इंसान इस सृष्टि का सबसे श्रेष्ठ जीव है क्योंकि वह विचारशील है। व्यक्ति को चाहिए कि कभी अपने विचारों से उलझे नहीं। अपने लक्ष्य को पाने का जज़्बा और सही राह दिखाने वाला मैटर ही चुनें, जो आपकी अंदरूनी ताकतों को बढ़ा सकता है। हमारे विचार ही पद, पैसा और प्रतिष्ठा से ज्य़ादा अनमोल संपत्ति है अर्थात् आपका हर एक सोचा हुआ विचार कहीं ना कहीं आपके भाग्य का निर्माण करता है। इसलिए वही सोचें जो बनना चाहते हैं। जिस इंसान की सोच व नियत अच्छी होती है, भगवान उनकी मदद करने के लिए किसी न किसी रूप में ज़रूर आते हैं।
जब सोचना ही है, तो सदा बड़ा ही सोचें
चारों ओर अच्छा देखने के लिए अच्छी सोच अर्थात् अच्छे विचार का होना अति आवश्यक है अर्थात् हम सिर्फ नदी किनारे खड़े होकर पानी को निहारते रहने से उसे पार नहीं कर सकते। बल्कि इसके लिए हमें कठिन परिश्रम, अधिक सावधान रहने और परमात्मा की देख-रेख में स्वयं को समर्पित करने की ज़रूरत है। छोटी सोच में भी उतनी ही ऊर्जा और समय की खपत होगी, जितनी बड़ी सोच में, इसलिए जब सोचना ही है तो सदा बड़ा ही सोचें।
कहते हैं जीवन में पुस्तक, मित्र, रास्ते और हमारे विचार यदि गलत हो तो हमें गुमराह कर देते हैं और यदि हमारे विचार सही हो तो जीवन को सफल बना देते हैं। सोच अच्छी रखो, लोग अपने आप अच्छे लगने लगेंगेे। जब नियत अच्छी रखेंगे, तो सभी कार्य अपने आप ठीक होने लगेंगे।
श्रेष्ठ विचार मन और शरीर को ताकत देते हैं
हम अपने विचारों से आकार लेते हैं। जैसा हम सोचते हैं, वैसे ही हो जाते हैं। मनुष्य के पास सबसे बड़ी पूंजी, उसके अच्छे विचार हैं क्योंकि धन और बल किसी को भी गलत राह ले जा सकते हैं, किंतु अच्छे विचार सदैव अच्छे कार्यों के लिए प्रेरित करते हैं। मलिन विचार मनुष्य के सीधे नर्वस सिस्टम पर आक्रमण करते हैं। श्रेष्ठ और स्वच्छ विचार मन और शरीर दोनों को ताकत देते हैं। मलिन विचारों से तनाव में आकर पेट खराब होता है। जबकि साइलेंस में रहना या मेडिटेशन करने से फायदा मिलता है। व्यक्ति का मन जब दुषित विचारों से थक जाता है तो मन का ट्रैफिक कंट्रोल काम आता है। अर्थात् जब सकारात्मक विचार काम ना कर रहे हो तो साइलेंस में जाना, व्यर्थ विचारों को नियंत्रण करने का अच्छा तरीका है।



