मुख पृष्ठदादी जीदादी जानकी जीजब तक अटैचमेंट है तब तक सुखी रह नहीं सकते

जब तक अटैचमेंट है तब तक सुखी रह नहीं सकते

मुरली में ऐसा जादू भरा हुआ है, जो जादूगर की जादूगरी देख अजब लगता है। जादूगर क्या से क्या करते हैं, हम देखते ही रह जाते हैं। तो बाबा भी बहुत मशहूर जादूगर है। भक्ति में समझते थे कृष्ण जादूगर है, पर अनुभव कहता है शिवबाबा जादूगर है। जवानों को बूढ़ा बना देता है, बूढ़ों को जवान बना देता है, यह कमाल है बाबा की। साहूकारों को गरीब बना देता है, साहूकार सेवा में लगाने में बिचारे गरीब हैं, सोचते रहते हैं और गरीब को बाबा साहूकार बना देता है वो पूछता रहता है बाबा आपकी सेवा में मैं क्या करूँ! उसका यज्ञ सेवा के लिए प्यार बहुत, वो गरीब नहीं है। बाबा के लिए वो शाहों का शाह, तीनों लोकों का मालिक है। बाबा कहता है मैं भी तीनों लोकों का मालिक नहीं हूँ, मेरे बच्चे तीनों लोकों के मालिक हैं। चाहे यहाँ रहें, चाहे सूक्ष्म वतन में रहें। बाबा ने इतना हल्का बना दिया है। बालक सो मालिक बनके रहने में मजा है। जो इनोसेन्ट बालक होते हैं उनसे खुशबू बहुत आती है। फूल की तरह खुशबूदार, ऐसे बालक जिसमें कोई भी विकार का अंशमात्र न हो। जैसे विकार का पता ही नहीं है, वो बड़े प्यारे लगते हैं। कोई हैं जो किसी भी जाति देश, धर्म, भाषा के हों लेकिन फूल प्यारा न लगता हो? फलों में है आम और फूलों में है गुलाब। बाबा फल भी प्रत्यक्ष फल देता है। जितना हम प्युअर बनते हैं उतना फूल मुआफिक बनते हैं, जितना खुश रहते हैं उतना फल बन जाते हैं। तो बाबा कैसा जादूगर है जो कांटे को फूल बना देता है।
बाबा कहते खुशी जैसी खुराक नहीं, चिन्ता जैसा मर्ज नहीं। एक-एक बोल लाखों की वैल्यू का है। माला भी हाथ में फेरने के लिए उठानी पड़ेगी। हमें तो केवल बाबा के बोल याद करने हैं बस, खुशी आ गयी। कौन-सा बोल? बच्चे रिमेम्बर मी, जी बाबा। बच्चे 63 जन्म विकर्म किये हैं, अब मुझे याद करो तो विनाश हो जायेंगे, जी बाबा। सबमें जी बाबा करना है। जो डिटैच होना नहीं जानता है वो लविंग कैसे होगा? जब तक अटैचमेन्ट है तब तक सुखी नहीं रह सकता है। लोहे की जंजीरें टूटी, सोने की जंजीरे अच्छी लगती हैं। बाबा का कन्याओं से कितना प्यार है, कन्याओं को बाबा का नाम बाला करना है। अच्छी स्टडी करनी है, अच्छा गुणवान बनना है। जो बाबा को अच्छा लगता है, वो करना है। जहाँ बाबा बिठाता है, वहाँ बैठना है। उसमें आजकल परीक्षा और कोई नहीं है। कोई आवाज़ से बात करता है तो दूसरा ढ़ीला पड़ जाता है। अरे कुछ नहीं है, ड्रामा बड़ा मीठा है, सीख रहे हैं। किसकी नेचर को न याद करो, न याद कराओ, यह भी पाप के खाते में जायेगा। कर्म में नेचर को याद किया, हमारी भी नेचर ऐसी नाज़ुक बन गयी, तो विकर्म तो विनाश हुआ नहीं। भले समझता है मैं बुरा कर्म तो करता नहीं हूँ, पर नाज़ुक नेचर वाले में सहनशक्ति है नहीं तो श्रेष्ठ कर्म कर नहीं सकता। हमारी पढ़ाई है- पढ़ते जाओ, प्रैक्टिस करते जाओ, पास होते जाओ।

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