समय पर, समय से, समय आने तक के शब्द का भावार्थ लोग प्रयोग में लाते हैं लेकिन प्रयोग सफल तब होगा जब हम खुद को समय देंगे, वक्त देंगे या वक्त निकालेंगे, सभी योगी, प्रयोगी, विचारक, चिन्तक, आलोचक ने खुद को समय दिया तो भावों को जोड़ पाये। तो आप भी समय दें, और खुद को परमात्मा से जोड़ें।
ओहो! आपको ही याद कर रहा था योगानु-योग आप ही सामने आ गये। यह ईश्वर का संकेत है अच्छा ही होगा। यहाँ क्रयोगञ्ज का मतलब समय से है। कई घटनाएं कहो, कई परिस्थिति कहो ये समय पर ही घटित होती हैं। इसलिए हमें योग में समय के महत्व को बारिकी से समझना होगा। समय आने पर ही ठण्डी की ऋतु आती, समय आने पर ही बरसात होती। हम चाहें या न चाहें कई घटनाएं व परिस्थितियां समय पर ही निर्मित होती हैं। तो हमें धैर्यता रखनी चाहिए। कहते हैं धैर्यता योगी का एक महत्वपूर्ण लक्षण है। कहते हैं पेशेन्स, पेशेन्ट होने से बचाती है। यानी कि योगी को वर्तमान में होने वाली प्रतिकूल घटनाएं विचलित नहीं करती। योग का अभ्यास करने वालों में पेशेन्स एक प्रमुख कारक है जो योगी को निखारता है। कहते हैं समय से पहले और भाग्य से ज्य़ादा किसी को भी प्राप्त नहीं होता। समय आने पर ही उसे मिलता है। तो योगी को सत्यता के फल खाने के लिए सीज़न का इंतज़ार करना ही पड़ता है। इस समय चक्र में परमात्मा के आने पर ही हम योगी बनते हैं। माना कि हमारा परमात्मा से मिलन होता है। पहले हम जाने-अनजाने उससे मिलन मनाने की कोशिश करते रहे परन्तु मिल न सके क्योंकि समय नहीं था, योग नहीं था। जब योग की बात करते तो यहाँ दो अविनाशी सत्य सत्ताओं का परम मिलन से है। जिसे हम आत्मा और परमात्मा का मिलन कहते हैं। इसका मिलन भी तभी होता है जब परमात्मा का सृष्टि चक्र में धरा पर आने का समय होता है, सीज़न होता है। इसके सम्बन्ध में हम गीत भी गाते हैं ना! शिव दर्शन है इस सृष्टि चक्र में…। आज संसार के हालात को देखकर ऐसा ज़रूर प्रतीत होता है कि परमात्मा के अवतरण का समय यही है। हम युगों से परमात्मा को याद करते आये और अब उससे सहजता से मिलन की वेला चल रही है। बस! हमें अपने आप को उससे मिलने के योग्य बनाना है। वो हमें दु:खी नहीं देख सकता क्योंकि वो हम सबका परमपिता है। वो कृपालु, दयालू होने के कारण हमें विधि बताता है। कहते हैं- हे मेरे प्रिय बच्चों! अब आपको मेहनत करने की ज़रूरत नहीं मैं आ गया हूँ, आप अपने आप को सही अर्थ में आत्मा समझो और मुझसे मिलन मनाओ। हम यही कहना चाहते हैं कि योगानुयोग वर्तमान समय आत्मा और परमात्मा की सीज़न चल रही है, आप भी अपने प्यारे परमपिता से मिलन मना सकते हैं। मिलने की सही विधि को ही राजयोग कहते हैं। भारत का राजयोग मशहूर है ना! क्योंकि स्वयं परमात्मा ने ही हमें राजयोग सिखाया था। और पुन: वे सिखा रहे हैं उसे समझना ज़रूरी है।



