प्यारे बाबा ने हमें योगी भव का सहज स्वत: ही वरदान दिया है। बाबा कहते- अब तुम सब मेरे बच्चे हो, मैं तुम सब बच्चों का प्यारा बाबा हूँ, तुम मेरी सजनियां हो, मैं तुम्हारा साजन हूँ। तुम मेरे हो, मैं तुम्हारा हूँ, तुम सब बच्चों को मैं अपने साथ ले चलने आया हूँ, और मैं देख रहा हूँ कि कैसे तुम मेरे बच्चे मेरे साथ घर की ओर दौड़ रहे हो। प्यारा बाबा आज आप सभी के बीच है और एक-एक बच्चे को मीठी-मीठी रूहानी दृष्टि दे रहा है। आप सबसे प्यारा बाबा बहुत मीठी-मीठी रुहरिहान कर रहा है। आपके पुरुषार्थ को, हिम्मत को, दिल को देख बाबा आप सबको बहुत-बहुत प्यार से गले लगा रहा है। अपनी गोदी में छिपा रहा है,क्यों? क्योंकि आपने कहा है हमारा एक बाबा दूसरा न कोई।
बाबा आप सबको अपने लाइट की किरणें पांव से चोटी तक दे रहा है। आपको अपनी शीतल दृष्टि से, शीतल बना रहा है। यह अनुभव होगा कि माया ने गर्म बनाया, बाबा अति शीतल बना रहा है। योगी की वाणी, काया, स्वभाव, संस्कार सब शीतल होते इसलिए इस ज्ञान अमृत को पीने से शीतल बन जाते क्योंकि बाबा हमारा बहुत-बहुत मीठा, प्यारा, शीतल है।
बाबा को तरस के साथ, रहम के साथ कड़ी करुणा के भाव आ रहे हैं। आप सब इस कलियुगी दुनिया से बचकर, दौड़कर बाबा के पास आये, आप सबने अपने दिल में सच्चा बाबा बिठाया है। कई बच्चे हैं जो बाबा के ऊपर अपना सबकुछ कुर्बान करने के लिए तैयार हैं, सच्चे पुरुषार्थी हैं, कई हैं जो यह नहीं समझते कि हम इस इन्द्रप्रस्थ के सच्चे देवतायें हैं इसलिए अपनी वृत्तियों में लापरवाह हैं। जिन्हें देहअभिमान है, रावण की तरफ बुद्धि है वह और ही अपनी बुद्धि में बुराईयों को लाते।
कई तो अपना किचड़ा बाबा को देकर शीतल हो रहे हैं, कई फिर बुरे वायब्रेशन रखते हैं। जो आपके साथ छोटी या बड़ी बहनें हैं वह आपकी माँ हैं। भले वह छोटी बच्चियां हैं लेकिन आपकी माँ के समान हैं। वृत्ति में रहे कि हम सब एक बाप के बच्चे हैं, हम छोटे बच्चे हैं, छोटे लाल हैं, वह हमारी माँ हैं। चाहे छोटी हैं चाहे बड़ी हैं। आप सबको माँ देखो। माँ देखेंगे तो आपके अशुद्ध संस्कार समाप्त हो जायेंगे। वृत्ति-दृष्टि शुद्ध हो जायेगी।
बाबा हमारा प्राणेश्वर है, एक बाबा सभी सम्बन्धों का दाता है। यह जो सवाल है हमारी पुरानी आदतें नहीं मिटती- तुम इन सब बातों को सोचना छोड़ दो। माया भल तूफान लाये, तुम्हें उसके बस नहीं होना है, तुम बाबा के सर्व सम्बन्धों के रस में लीन रहो। बाबा क्रक्रहमारा मीठा बाबा हैञ्जञ्ज – कभी इस सम्बन्ध का रस लो, कभी उसे प्यारा सखा बनाओ, दिल की बातें उससे करते रहो तो देखो वह कितना बहलाता है। कभी उसे साजन के रूप में देखो, कभी उसे बेटा बना लो, उस पर सारा तन-मन-धन स्वाहा कर दो। कोई दिन धर्मराज के रूप से देखो, ऐसे एक-एक दिन एक-एक सम्बन्ध का रस लो, उसी सम्बन्ध से उससे रुहरिहान करो तो दैहिक सम्बन्धों की आकर्षण खत्म हो जायेगी। पुराने सब संस्कारों को समाप्त करने का साधन ही है- सर्व सम्बन्धों का रस एक बाबा से लो।
बाबा ने हम बच्चों को कोई हठयोग नहीं सिखाया लेकिन अमृतवेले उठ बाबा से शक्ति ज़रूर लो। शक्ति प्राप्त हुई तो पिछले सब संस्कार खत्म हो जायेंगे। अकेले बन, अकेले में, अकेले बाबा को याद करो। अपनी पढ़ाई में मस्त रहो। यह मुरली, यह ज्ञान रत्न आपको बहुत-बहुत मदद करेंगे। पढ़ाई से बहुत-बहुत प्यार रखो।
योगी का अर्थ ही है नियम और संयम, जितना अपने को मर्यादाओं में रखेंगे उतना अपनी मस्ती में मस्त रहेंगे। दूसरा क्या खाता, कैसे रहता, वह नहीं देखो। अपनी मौलाई मस्ती में मस्त रहो तो अश्लीलता पर नज़र जायेगी ही नहीं। सत्यम् शिवम् सुन्दरम् को देखो। हमारे वह नयन बाबा ने निकाल दिये- मेरे तो दिव्य नयनों में अपना प्यारा बाबा बसता, स्वर्ग बसता।
जैसे परीक्षा के समय पढ़ाई पर ध्यान रहता है, ऐसे समझो अब हमें बाबा के घर जाना है, सम्पन्न होना है। हमारे सब परीक्षा के दिन चल रहे हैं। यह हमारा पेपर है कि हमें बाप के समान सम्पन्न बनना है। हमें अपने सभी पिछले खाते योग से खत्म करने हैं। हमें बाबा से नई दुनिया के लिए नम्बरवन प्राइज लेनी है। हमें विनर बनना है, उसके लिए पेपर है मायाजीत जगत जीत बनने का।