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मुंबई-घाटकोपर: राजयोगिनी डॉ. नलिनी दीदी जी की स्मृति में नव-निर्मित स्मृति चौक का हुआ लोकार्पण

मुंबई में अनोखा आध्यात्मिक सम्मान: राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज ने अपने 50वें जन्मदिन पर अपने आध्यात्मिक गुरु को समर्पित किया स्मृति चौक

मुंबई-घाटकोपर, महाराष्ट्र। जहाँ आज के समय में विशिष्ठ पड़ाव के जन्मदिन बड़े उत्सव और भव्य समारोहों के साथ मनाए जाते हैं, वहीं मुंबई शहर आज एक अनूठी और भावपूर्ण श्रद्धांजलि का साक्षी बना। अपने 50वें जन्मदिन के अवसर पर, चार भाषाओं (अंग्रेज़ी, हिन्दी, मराठी व गुजराती) में 9000 से भी अधिक  प्रकाशित स्तंभों के लिए प्रसिद्ध कॉलमिस्ट, आध्यात्मिक प्रेरक वक्ता और ब्रह्माकुमारीज़ मीडिया एवं जन संपर्क सेवाओं के राष्ट्रिय समन्वयक — राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज ने उत्सव के बजाय सेवा को चुना। उन्होंने अपने आध्यात्मिक पथ-प्रदर्शक, गुरु और दिव्य मातृ स्वरूप राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी डॉ. नलिनी दीदी जी (दीदी माँ), जिन्होंने 9 फ़रवरी 2025 को अपना स्थूल देह त्याग किया, उनकी स्मृति में एक नव-निर्मित स्मृति चौक को लोकार्पित किया | 

बृहन्मुंबई महानगरपालिका के सहयोग से बना नव-उद्घाटित “ज्ञान वीणा वादिनी पुजनीय राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी डॉ. नलिनी दिदी जी चौक” अपनी शंभल सौम्यता और विशिष्ट निर्माण शैली के कारण शहर के प्रमुख स्मृति स्थलों में विशेष स्थान रखता है। मुंबई के पारंपरिक काले पत्थरों के चौकों से भिन्न, यह चौक राजस्थान से मंगाए गए शुद्ध श्वेत पत्थर से निर्मित है — जो शांति, पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है। इसे “शांति का प्रकाश-स्तंभ” के रूप में विकसित किया गया है, ताकि यहाँ से गुज़रने वाले लोगों को व्यस्तता के बीच एक क्षणिक शांति और सकारात्मकता का अनुभव हो सके।

कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए विशिष्ट अतिथि विधायक पराग भाई शाह जीनगरसेवक एवं महाराष्ट्र प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता भालचंद्र शिरसाट जीवरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. भास्कर शाह जी ,तथा वरिष्ठ ब्रह्माकुमारीज़ सदस्य — राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी शकू दीदी जी – प्रभारी, ब्रह्माकुमारीज़ घाटकोपर सबज़ोन और वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी विष्णुप्रिया जी सहित अनेक शुभचिंतक उपस्थित थे। यह दृश्य गुरु-शिष्य संबंध की गहराई और कृतज्ञता का दुर्लभ उदाहरण था।

अपने भावनात्मक वक्तव्य में, राजयोगी निकुंज ने बताया कि किस प्रकार से दीदी माँ ने 13 वर्ष की आयु से उन्हें स्नेहपूर्वक पालना देकर बड़ा किया, मार्गदर्शन दिया और आध्यात्मिक रूप से गढ़ा। उन्होंने कहा, “अपने 50वें जन्मदिन पर, अपने आध्यात्मिक गुरु… मेरी दिव्य आध्यात्मिक माँ के नाम यह स्मृति स्थल समर्पित करना मेरे जीवन का सबसे हृदयस्पर्शी और संतोषप्रद क्षण है !!”

यह स्मृति चौक अब दीदी माँ के पवित्र जीवन-मूल्यों — पवित्रता, करुणा, धैर्य और मौन सामर्थ्य — का सार्वजनिक प्रतीक बनकर खड़ा है और समाज को शांति, मानवता तथा आध्यात्मिक मूल्यों को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता रहेगा।

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