नये साल में नये किरदार के साथ

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पने किरदार पर डालकर पर्दा हम सभी कहते हैं कि ज़माना खराब है। ये बात और इस बात से जीवन की शुरुआत आज हम इसलिए कर रहे हैं कि जब कुछ ही दिनों में हम नये साल की तरफ बढ़ेंगे तो उस समय हमारे जीवन के कई सारे पहलू, जो इस पुराने वर्ष में वैसे ही रहे उसके पहले बहुत सारे मैंने अपने लिए, हर दिन एक नया जोश और जुनून डालने के लिए कुछ ऐसे मापदण्ड तय किए, लेकिन वो पूरे नहीं कर सके। उन मापदण्डों को पूरा न करने के कारण हर दिन, हर पल हम सभी को दोषी ठहराते चले गए। आपको ये पूरी तरह से अवगत होगा या पता होगा या आपको पूरी तरह से इसकी जानकारी है कि इस दुनिया को कोई भी नहीं जान सकता। क्यों नहीं जान सकता, क्योंकि हर व्यक्ति अलग है एक दूसरे से।
आत्मा बिल्कुल वैसी है रूप के साथ, लेकिन बाकी उसके किरदार अलग-अलग हैं। जब व्यक्ति को हम देखते हैं तो उनमें हमको जो नज़र आता है ना हम वो ही हैं। इस बात को हमने अंडरलाइन कर लेना है। अब बात आई कि नये साल में हम अपने किरदार के साथ ऐसा क्या करें कि ये आने वाला वर्ष, आने वाला साल यादगार बन जाये! क्योंकि जब हम कोई भी रोल प्ले करते हैं या कोई भी कर्म करने जाते हैं तो उस समय हमारे मन में क्या विचार चलता है। गहराई से उसमें उतर जायें और देखें कि पहला विचार क्या आता है। इससे उनको कितनी खुशी मिलेगी या इससे वो कितने खुश होंगे। जो हमारे घर में रहते हैं। सबसे पहला विचार आता है तो इससे एक बात तो सिद्ध हो गई कि हम जो भी कर्म कर रहे हैं वो दूसरों के हिसाब से या उनके किरदार के हिसाब से कर रहे हैं ये पक्का है, लेकिन ये भी पक्का है कि जो किरदार आप निभा रहे हैं उनके लिए जो कर्म कर रहे हैं ज़रूरी नहीं

है कि आपकी बातों से वो पूरी तरह से संतुष्ट हो जायेंगे। लेकिन फिर भी आप कर रहे हैं। बस यहीं पर हम गलती कर रहे हैं। गलती ये है कि हम जब किसी व्यक्ति को खुश करने के लिए कर्म करते हैं तो उसके अन्दर भावना कैसी होती है, भाव कैसे होते हैं, स्वार्थ के होते हैं। अगर हर चीज़ हमको मांगनी पड़े भगवान से कोई भी अच्छी या बुरी क्या भगवान हमको दे देता है? आपको पता है नहीं देता है क्योंकि उसको पता है कि जो गलत है वो गलत है, जो सही है वो सही है। ऐसे ही जो भी हम कर्म कर रहे हैं उसमें गलत-सही, स्वार्थ और नि:स्वार्थ पन की भावना के साथ सिद्ध हो जाता है। अगर मैं नि:स्वार्थ भाव से किसी के लिए भी कुछ अच्छा सोचूंगा या अच्छा सोचूं तो उसके पास पहुंचता है। क्यों पहुंचता है, क्योंकि हर पल वो आपको देख नहीं रहा है, लेकिन आपके कर्मों पर उसकी नज़र है। इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया हमें वैसी नहीं दिखती जैसी वो है। बल्कि वैसी दिखती है जैसे हम हैं। हर कोई अपने अन्दर के विकारों के वश या फिर जो उसकी अपनी स्थिति है उसी के वश वो देख रहा है और वैसा ही फील कर रहा है। तो हमको इस नये वर्ष में दुनिया को देखने का नज़रिया बदल देना है, मतलब खुद को देखने का नज़रिया बदलना है, तो दुनिया भी एक न एक दिन बदल जायेगी।
खुद को हम कैसे देखेंगे, जैसे परमात्मा हमको देखता है। कैसे देखता है वो? हम सबके किसी भी किरदार में वो बाधा उत्पन्न नहीं करता बस वो किरदार को देखता है। और आगे बढ़ता है। वैसे ही हम सब किसी के किरदार को देखते हैं तो कोई बहुत अच्छा रोल प्ले कर रहा है या नहीं भी कर रहा है, उसके साथ जो हमारा किंतु-परन्तु लगता है या ऐसा-वैसा लगता है इससे एक बात सिद्ध हो जाती है कि हम किरदार के अन्दर घुस रहे हैं जोकि गलत है। जैसे ही आप उस किरदार के अन्दर घुसेंगे या किरदार के अन्दर जायेंगे तो आपको तकलीफ होगी कि ये कर्म ऐसा नहीं ऐसा होना चाहिए। यही हम आत्मा और परमात्मा में विशेष अन्तर है। परमात्मा कहते हैं कि इस दुनिया में हर आत्मा अलग है। और वो अपने किरदार को बखूबी प्ले कर रही है जैसा वो है। तो इसका अर्थ ये हुआ कि अभी हमें अपने ऊपर बहुत काम करने की ज़रूरत है। शायद इसीलिए इतने सारे नये साल के लिए हम एक्शन प्लैन करते हैं कि इस साल हम ये-ये करेंगे, लेकिन वो फलीभूत शायद इसलिए नहीं होता क्योंकि हम औरों के किरदार में उलझ जाते हैं। इस साल हम ये एक संकल्प लेकर चलना ही चाहिए, चलना ही होगा कह सकते हैं कि अपने संकल्पों से अपने किरदार को परमात्मा के जैसा बनाना है। जैसा परमात्मा सबको देखते हैं वैसा हमको सबको देखना है और अपने ऊपर ध्यान रखना। क्योंकि जैसे ही हम अपने ऊपर काम करना शुरू करते हैं तो हमारे लिए बहुत अच्छा होना शुरू हो जाता है। बाहर चाहे दुनिया में कुछ भी चल रहा हो, लेकिन मैं एक-एक संकल्प, एक-एक कर्म जो कर रहा हूँ उस कर्म पर मेरा अधिकार है। और उस कर्म को करने के बाद आपको बहुत आत्म संतुष्टि होगी। इसलिए दुनिया में कहावत भी है कि जिन्हें दुनिया में वाकई बात करनी आती है वो ही अक्सर खामोश रहते हैं। तो इसका अर्थ ये हुआ कि जो खामोश नहीं रहते वो एक्स्ट्रा जो बोलते हैं वो ज्य़ादातर अपने
किरदार पर पर्दा डाल रहे हैं। तो इसलिए आज जि़ंदगी का सीधा-सा एक परिचय है कि आँसू वास्तविक हैं, लेकिन मुस्कान में अभिनय है। हर कोई अभिनय कर रहा है अलग-अलग तरीके से, जिसको दुनिया में कहा कि आर्टिफिशियलिटी है या बनावटीपन है। जो दिखते हैं वो हैं नहीं, और जो नहीं दिखते वो हैं। इसीलिए अपने आप पर ध्यान देना है, इस साल का एक संकल्प बनाना चाहिए, जिससे हम सभी अपने उस किरदार को अच्छे से जिएं, अच्छे से उसपर काम करें और आने वाले समय के लिए कुछ नई चीज़ों को इजात(सम्मान) करें। इस साल मुझे सिर्फ और सिर्फ अपने ऊपर ध्यान देना है। अपने अन्दर की पूरी दुनिया बदल देनी है ताकि आगे सामने वालों की दुनिया जो भी बाहरी दुनिया है वो अच्छी नज़र आने लग जाये। वो कब बनेगी जब आप अन्दर से अच्छे बनेंगे। अन्दर से गुणों को धारण करेंगे। तो इस साल इस संकल्प के साथ नये साल की शुरूआत करते हैं।

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