साथी को साथ रखो तो साक्षी दृष्टा हो जायेंगे

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आनंद के लिए, ज्ञान का विवेकपूर्ण उपयोग, हमें सेफ रखेगा और दिल से निकलेगा जो हुआ वो अच्छा, जो हो रहा वो बहुत अच्छा, और जो भविष्य में होगा वो बहुत-बहुत अच्छा

दृश्य अनेक आयेंगे दृश्य के प्रभाव में नहीं आओ। साधन-सुविधा के लगाव में, अटेचमेंट में आकर उसको यूज़ न करें। अगर है और यूज़ न करें तो भी ठीक नहीं। कहने का मतलब कोई भी साधन सुविधा की अधीनता न हो। क्योंकि यह हमें अंदर से बहुत परेशान और हलचल में ला सकती है। अगर किसी व्यक्ति के प्रति हमारा झुकाव है तो वो भी हमें कई तरह की तकलीफ दे सकता है। किसी साधन के प्रति अधीनता है या झुकाव है वही हमारे लिए पेपर बन जाएगा, इसलिए बाबा ने कहा है जिस व्यक्ति के प्रति आपने सोचा होगा कि यह व्यक्ति मुझे कभी धोखा नहीं दे सकता, यह व्यक्ति मेरा अपना है। उस दिन आप देखेंगे कि वही व्यक्ति आपको धोखा देने के निमित्त बन सकता है। सबसे बड़ा पेपर आपके लिए वही बन सकता है क्योंकि यह कलयुगी दुनिया है। कलियुग की भी अति में यह दुनिया जा रही है। किसी इंसान के अंदर इतनी पॉवर नहीं है बाहर में जो वफादारी से संबंध निभा सके क्योंकि आज की दुनिया में हर इंसान इतना स्वार्थी हो गया है वह पहले खुद का सोचेगा उसके बाद दूसरे का सोचेगा। तो आप सोचेंगे कि यह व्यक्ति मुझे धोखा दे ही नहीं सकता लेकिन नहीं कोई भी कभी भी धोखा दे सकते हैं, स्वाभाविक है।
दूसरी बात साक्षी दृष्टा की स्थिति को क्रिएट करने के लिए बाबा ने कहा त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित हो जाओ। त्रिकालदर्शी स्टेज पर आ जाओ। तीनों कालों को अच्छी तरह से देखो- पास्ट, प्रेज़ेन्ट और फ्यूचर तीनों कालो को देखते हुए नॉलेजफुल होकर के वर्तमान में मुझे क्या करना है बाबा ने हर बात की समझ हमें दी है, विवेक दिया है, आध्यात्मिक प्रज्ञा हमें मिली है। तो उस आध्यात्मिक प्रज्ञा को यूज़ करते हुए उस सिचुएशन को पार करना है। इसीलिए त्रिकालदर्शीपने की स्थिति जिसकी है उसके अंदर निश्चय रहेगा कि ड्रामा का हर एक सीन जो आएगा उसमें कल्याण समाया हुआ है। मेरे साथ तो ऐसा होना चाहिए, मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ, यह तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था, यह तो सपने में भी नहीं सोचा था तो बाबा कहते कि यह सोचना माना आप सिर्फ वर्तमान को

देख रहे हैं। इतनी बात याद रखें कि जीवन में जो कुछ भी होता है अगर आपने कुछ किया ही नहीं, तो होगा ही नहीं। अच्छा इस जन्म में नहीं किया है तो कोई जन्म में तो किया होगा जिसका फल अभी आकर के मिल रहा है। मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकता मेरे साथ ऐसा हो सकता है। नहीं सोच सकते हैं क्यों, क्योंकि हमें पिछले जन्मों का मालूम नहीं ही नहीं है कि हमारे कार्मिक अकाउन्ट क्या है, किसके साथ, तो इसलिए वो होना है। ऐसे वक्त पर त्रिकालदर्शीपन की स्थिति में स्थित होकर, निश्चय बुद्धि होकर के जो हो रहा है उसमें कोई न कोई कल्याण समाया हुआ है। तो स्थिति जितनी निश्चिंत होगी उतना ही साक्षी दृष्टा बनना सहज हो जाएगा। अगर निश्चिंत नहीं इसका मतलब निश्चयबुद्धि नहीं हैं और निश्चयबुद्धि नहीं है तो सिर्फ वर्तमान को देख कर हमारे मन के अंदर कई प्रकार के संकल्पों का तूफान चलना शुरू हो जाता है। तो इसलिए बाबा कहते हैं नॉलेजफुल हो जाओ। बाबा ने जो नॉलेज हमें दी है उस नॉलेज को एप्लाई करो। बाबा ने नॉलेज सिर्फ सुनने के लिए थोड़े दी है, समझने के लिए थोड़े दी है उसका प्रयोग करने के लिए दी है। जब बाबा के दिए हुए ज्ञान की प्वाइंट का उपयोग करके देखेंगे, स्वमान में स्थित होकर देखेंगे, त्रिकालर्शीपने की स्टेज में स्थित होकर उस दृश्य को देखेंगे तो उस समय आपके अंदर से दुआएं निकलेंगी हर एक आत्मा के प्रति। कभी कोई हलचल क्रिएट नहीं हो सकती। कोई तूफान आ जाता है तो वह भी आपके लिए तोहफा बन जाता है। अगर आप त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित होकर कुछ सुनते हैं, त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित होकर कुछ समय नॉलेजफुल होकर नॉलेज पर एप्लाई करते हैं तो साक्षी दृष्टा बनना सहज हो जाता है। साक्षी दृष्टा बनना माना जो बाबा की शिक्षाएं,श्रीमत है उसको एप्लाई करना और एप्लाई करते हुए चलना इसको कहते हैं निश्चयबुद्धि होकर निश्चिंत हो जाना। कोई भी बाहर की हलचल मेरे अंदर की स्थिति को विचलित न करे। जो हुआ वह भी अच्छा, जो हो रहा है वह भी अच्छा और जो होने वाला है वह भी बहुत अच्छा।
तीसरी बात साक्षीपन की स्थिति में वही रह सकता है जिसने बाबा को अपना साथी बनाया। इसलिए बाबा कहते हैं साथी को साथ रखो तो साथी आपको हर बात के लिए सावधान करेगा, आपको हर बात में कल्याण का दृश्य दिखा देगा कि क्या कल्याण है। वो दिखाई देने लगेगा और कुछ नहीं तो अनुभवी तो बनायेगा!

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