मन की बातें

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प्रश्न : मेरी शादी को तीन साल हो गये हैं। अभी मेरे पति की जॉब चली गई है। वो फिर से लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें जॉब नहीं मिल रही। ससुराल में भी कुछ आर्थिक व पारिवारिक क्षति हुई है इसलिए मेरे आने के बाद से ऐसा हो रहा है ऐसा मेरे ससुराल वाले मानते हैं और मुझे कुलक्षणी कहते हैं। मैं अपने ऊपर लगे इस कलंक को धोना चाहती हूँ क्या करूँ?
उत्तर : समाज में ऐसी मान्यता है कि कभी-कभी अगर कोई नया व्यक्ति घर में आता है तो आनंद छा जाता है और कोई आत्मा ऐसी आ जाती है कि उसके आने से सारा खेल बिगडऩे लगता है। फिर समाज वाले भी कुछ-कुछ गलत शब्द भी यूज़ करने लग जाते हैं। लेकिन ये सब सुनने के लिए आपको तैयार भी रहना चाहिए। देखिए वैसे तो किसी भी परिवार पर विघ्न कोई एक व्यक्ति के कारण ही नहीं आता है, सभी के कर्मों के खाते एकसाथ काम करते रहते हैं। आपके परिवार पर ये जो विघ्न आया है, ये सब ठीक करने के लिए 21 दिन योगाभ्यास करना है। राजयोग से पहले आप दो संकल्प सच्चे मन से करेंगे मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, मैं विघ्नविनाशक हूँ। सात बार ये दोनों स्वमान एक घंटा शांति में बैठकर बिना किसी डिस्टर्बेंस कोई ट्यून बजा सकते हैं, गीत बजा सकते हैं, योग की कॉमेंट्री बजा सकते हैं लेकिन ये याद रखना है कि ये अभ्यास अमृतवेले योग के अतिरिक्त करना है। अमृतवेले योग अर्थात् आत्मा और परमात्मा का मिलन। अपने परमपिता से प्यार भरी मुलाकात करनी है। उससे शक्तियां लेनी हैं, वरदान लेने हैं। और अगर आपने राजयोग नहीं सीखा है तो राजयोग तो आपको सीखना ही होगा, तो ही आप कर पायेंगी। अगर आपके आस-पास कोई राजयोग सेवाकेन्द्र नहीं है तो आप ऑनलाइन भी सीख सकती हैं। क्योंकि एक राजयोग और आध्यात्मिकता मात्र ही इस संसार को इन सबसे बचाने में समर्थ होगी। इसके बिना संसार में अपने को सुरक्षित रखना, अपने को निरोग रखना, इन विघ्नों से मुक्त रखना इसका कोई उपाय बचेगा नहीं। ऐसे में आपको घबराना नहीं है, हिम्मत नहीं हारनी है। इस चैलेंज को स्वीकार कर लें और मन बना लें कि मेरे लिए जो सबका दृष्टिकोण है वो मैं समाप्त करके रहूँगी। मैं ये सबको करके दिखाऊंगी कि मैं कुलक्षणी नहीं हूँ, मैं लक्ष्मी हूँ। दृढ़ संकल्प कर लें कि मेरे घर में आते ही आनंद ही आनंद छा गया। परम शान्ति, सफलता का जैसे वरदान मिल गया। खुशहाली आ गई। और आप एक सवेरे थोड़ा जल्दी उठें, मन को उदासी से भरकर नहीं, खुली हवा में ज़रा देखो ऊपर कि ओर भगवान मेरा परमपिता है। उसने कितना सुन्दर संसार बनाया है। वो भाग्यविधाता है। मैं उस भाग्यविधाता की संतान हूँ। श्रेष्ठ भाग्य लेकर ही जन्मी हूँ। मैं बहुत भाग्यवान हूँ…मैं बहुत भाग्यवान हूँ ऐसा सात बार करें। इससे आपका सोया हुआ भाग्य जग जायेगा। सोये हुए भाग्य को जगाने से सबकुछ अच्छा होने लगेगा। और सवेरे उठते ही ये भी संकल्प करें कि मेरे परिवार के लोग बहुत अच्छे हैं, हमारे साथ बहुत गुड टाइम चल रहा है। मेरा बैड टाइम समाप्त हो गया है। मैं इस घर में आई हूँ, एक सुन्दर समय मेरे साथ आया है। मुझे हर कदम पर सफलता मिलेगी। अब ये दुर्भाग्य के दिन पूरे हो जायेंगे और हमारे भाग्य का सितारा चमकेगा। बस इस तरह से संकल्प करें।
प्रश्न : मैं मुम्बई से सलोनी हूँ। मैं 12वीं कक्षा की छात्रा हूँ। जैसे-जैसे परीक्षा नज़दीक आती जा रही है, वैसे-वैसे मेरा भय बढ़ता जा रहा है। मैं जो भी याद करना चाह रही हूँ वो याद नहीं हो रहा है। मैं क्या करूँ?
उत्तर : दो चीज़ें हो गई, एक भय और दूसरी मेमोरी पॉवर वीक। दोनों ही विद्यार्थीयों के लिए बड़ी खतरनाक हैं। पहली चीज़ तो ये कि आपको अपना भय समाप्त करना होगा। तो उसके लिए आपको, सवेरे जब भी आँख खुले तभी अपने को याद दिलाएंगे कि मैं तो सर्वशक्तिवान की संतान हूँ। इसलिए मैं बहुत शक्तिशाली हूँ अर्थात् मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। दूसरा याद दिलाएंगे सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। मुझे हर फील्ड में सफलता मिलनी ही है। भगवान के बच्चों को यदि सफलता नहीं मिलेगी तो भला और किसको मिलेगी! ऐसा चिंतन कर लें कि मेरे साथ तो स्वयं भगवान है, मुझे तो सफल होना ही है। मैं निर्भय हूँ। ये संकल्प रोज़ सवेरे उठकर सात-सात बार कर लिया करें। इससे आपका भय भी समाप्त होगा और एक निश्चिंतता आयेगी। कदम सफलता की ओर बढ़ेंगे,क्योंकि ये सब्कॉन्शियस माइंड का प्रयोग है। सवेरे जब हम उठते हैं तो हमारा सब्कॉन्शियस माइंड फुली एक्टिव होता है, और उसको जो संकल्प हम देंगे वो हमारे सब्कॉन्शियस माइंड के लिए जैसे कमांड हो जाती है, आदेश हो जाता है। दूसरा आपको अपनी मेमोरी पॉवर बढ़ानी है। मेमोरी पॉवर को नष्ट करने वाली पहली चीज़ है भय, भय मनुष्य की मेमोरी पॉवर को एकदम नष्ट कर देता है। तो जैसे-जैसे आप निर्भय बनेंगी आपकी बुद्धि फिर से जागृत होगी। वो जागृत होगी तो आपको सबकुछ याद रहेगा। और कम से कम आधा घंटा आपको राजयोग का अभ्यास रोज़ अवश्य करना चाहिए, ताकि आपका मन पीसफुल रहे। क्योंकि मन जितना शांत बुद्धि उतनी ही तीव्र। मेमोरी पॉवर उतनी ही शार्प। तो आपको अपने चित्त को शांत करने के लिए ये नहीं सोचना चाहिए कि टाइम सामने आ रहा है तो अब मैं आधा घंटा योग भी करूँ! आधा घंटा योग करने से आपको चार घंटे का फायदा हो जायेगा। जो याद करती हैं आप चार घंटे में,वो आपको एक घंटे में याद होने लगेगा। इसलिए रोज़ आधे घंटे के साथ चित्त को शांत रखते हुए, योग को एन्जॉय करते हुए अभ्यास करना चाहिए। फिर अभ्यास में दूसरी प्रैक्टिस कर लेंगे। मैं आत्मा स्वराज्यधिकारी हूँ। स्वराज्यधिकारी का अर्थ होता है मैं आत्मा मन, बुद्धि, संस्कारों की, इस देह की मालिक हूँ। मैं भृकुटि में विराजमान हूँ। मैं अपनी राजा हूँ। फिर अपनी बुद्धि को आदेश देंगे कि हे मेरी बुद्धि जो कुछ मैं पढूं तुम उन सबको याद कर लेना। जब एग्ज़ाम हाथ में आये तो सब इमर्ज कर लेना। ये अभ्यास आपको रोज़ दो बार अवश्य कर लेना है। सवेरे और फिर तब,जब स्टडी चालू करें। और जब एग्ज़ाम पेपर आपके हाथ में आये तो शांत होकर, धैर्य चित्त होकर मैं शांत हूँ, हे मेरी बुद्धि मैंने जो कुछ आज तक पढ़ा है वो तुम सब इमर्ज कर दो। तुम्हारे पास इन सभी प्रश्नों के उत्तर हैं। तो बुद्धि वैसा ही आदेश का पालन करेगी। जब ये प्रैक्टिस रोज़ करेंगे तो इससे आपका भय भी दूर होगा और सबकुछ याद रहेगा।

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