परमात्मा को याद करने की क्यों है आवश्यकता

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जिसको हम याद करेंगे, क्यों याद इतना इम्र्पोटेंट है कि किसको करना है? जिसको हम याद करेंगे वो ध्यान से फिट करना। जिसको हम याद करेंगे हमारा मेंटल कनेक्शन उस आत्मा के साथ जुड़ जायेगा। और उस आत्मा की जो स्थिति होगी उसके साथ हमारा एनर्जी एक्सेंज शुरु हो जायेगा। पर जैसी उनकी स्थिति होगी वैसी हमारी होने लग जायेगी। जैसे कोई बच्चा परेशान है, मुश्किल में है उसके साथ कुछ हुआ है वो दूर है लेकिन घर बैठे माँ को पता चल जाता है ऐसा क्यों होता है? ये हर बार नहीं होगा, कभी-कभी होगा। ये कभी-कभी क्यों होता है? माँ यहाँ बैठी है बच्चा बाहर है, लेकिन माँ घर बैठे उस क्षण बच्चे को याद कर रही थी। और उस क्षण बच्चा तकलीफ में आया और किसको याद किया माँ को याद किया। जब दोनों ने सेम टाइम एक-दूसरे को याद किया तो क्या हुआ फोन लग गया। अगर एक कर रहा होता है, बच्चा माँ को याद कर रहा होता और माँ अपनी फ्रेंड को याद कर रही होती तो नहीं लगता। वो लगेगा तब जब वो दोनों उसी क्षण एक-दूसरे को याद कर रहे हैं। अब जैसे ही कनेक्शन जुड़ गया वैसे ही उसके मन की स्थिति उन तक पहुंच जायेगी। इज़ लाइक है वेबसाइट लिंक(वेबसाइट के लिंक की तरह)। उस साइट पर जो डेटा है वो हमारे पास डाउनलोड हो जायेगा। अब कलियुग में जितना हम आत्माओं को याद करेंगे तो क्या हो जायेगा थोड़ा-सा? अगर मैंने किसी ऐसे को याद किया जो बहुत उदास है तो मुझे भी क्या होने लग जायेगा? अगर मैंने उसको याद किया जिसको बहुत क्रोध आ रहा है तो मेरे ऊपर भी क्या डाउनलोड होने लग जायेगा? उस दिन सिर्फ चेक करना कि आज मन से कनेक्शन किसके साथ जुड़ा था और उस व्यक्ति को फोन करके पूछना कि आज आपका हाल-चाल क्या है? आपको उत्तर मिलेगा कि आज वो लॉ फील कर रहा है।
इसलिए हमें ये सिखाया कि भगवान को याद करो, उसका नाम लेते रहो तो कनेक्शन कहाँ जुड़ा रहेगा? उसकी जो स्थिति होगी वो डाउनलोड हो जायेगी। वो शंाति का सागर है अगर हमने उसको याद किया तो… ये हमारी च्वॉइस है कि हमें कहाँ कनेक्ट होना है। अगर कनेक्ट होने की विधि सीख ली, रिश्ता जुड़ गया एनर्जी डाउनलोड होने लग गई तो वो कभी भी कहीं भी कर सकते हैं हम। अगर स्थिति वैसी नहीं, कनेक्शन वैसा नहीं जुड़ा हो तो हम पूजा करने भी बैठे हैं लेकिन मन कहीं ओर ही जायेगा।

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