शुद्ध संकल्पधारी समर्थी का स्वरूप प्रत्यक्ष दिखाई दे

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कोई भी बात मुश्किल तब लगती है जब माया वार करती है। हम सबका यह लास्ट जन्म है। तो लास्ट जन्म में सारा ही 63 जन्म का हिसाब-किताब चुक्तू होना है फिर चाहे योगबल से करो, चाहे बीमारी द्वारा करो, चाहे सहनशक्ति द्वारा करो। तब ही बाबा के साथ घर जा सकेंगे और साथ में फस्र्ट जन्म में भी आ सकेंगे।
समस्या को परिवर्तन करके समाधान स्वरूप बनने के लिए स्वयं में शक्ति भरनी है। अपने को शिवशक्ति समझेंगे तो कभी भी नरम स्वभाव, रोना, रूसना… इस प्रकार की कोमलता नहीं होगी। तो अपने को छोटी व कुमारी या पुरुषार्थी नहीं समझना। कुमारी है तो कोमलता है। अभी तो बाबा का स्थान मिल गया, बाबा की गुरु भाई बन गई, तो अभी कर्मों की गति को ध्यान में रखते हुए बहुतकाल से तीव्र पुरुषार्थी की स्थिति होनी चाहिए। बहुतकाल के पुरुषार्थ के विजयी क्योंकि हम जो भी कुछ करते हैं, उसका हिसाब तो बन ही जाता है। गलती की तो दण्ड का भी हिसाब है।
ज्ञान के प्वाइंट केवल रिपीट नहीं करो, लेकिन शुद्ध संकल्पधारी समर्थी का स्वरूप प्रत्यक्ष दिखाई दे। ज्ञान का मनन करके उसी में मगन हो जाओ अर्थात् भिन्न-भिन्न ज्ञान के प्वाइंट में मन स्थिर हो जाये। मनन करना अलग है, रिपीट करना अलग है, वो भी अच्छा है। अलग-अलग टाइम पर अलग-अलग टॉपिक के प्वाइंट पर मनन करते मगन हो जाओ। जैसे योग की सब्जेक्ट में मनन करते-करते उस रूप में चले जाओ तो सारा व्यर्थ खत्म होता जायेगा।
कुछ भी करो लेकिन व्यर्थ संकल्पों को स्टॉप करो क्योंकि यही योग में बहुत डिस्टर्ब करते हैं। बाबा कहता है जो मैं जिस दिन कहता हूँ, उस ताजे माल में ताकत होती है, उसी दिन आप प्रैक्टिकल करो तो आपको हिम्मत भी मिलेगी, बाबा की मदद भी मिलेगी। बासी खाना खाने से तो बीमारी ही आयेगी।
माया भिन्न-भिन्न रूप में व्यर्थ लाती है, उस पर किस शक्ति से हम विजय पा सकते हैं, वो दोनों बातें अच्छी तरह से जानते तो हैं, परन्तु होता क्या है? उस समय वो याद ही नहीं आता है, समय पर शक्ति यूज़ करने नहीं आती है, इसके कारण बार-बार समस्यायें व व्यर्थ संकल्प आते रहते हैं।
मानों मेरे सामने ऐसे पेपर आयें या फलाने ने मेरे साथ यह किया, उस समय देखो क्या करना है? तो शक्तियों को यूज़ करो, उसका वर्णन करते रहो। आज समाने का पेपर दूँगी, तो उस समय क्या करूँगी… ऐसे यह मनन करते रहो और यूज़ करते रहो। यूज़ नहीं किया तो रिवाईज़ करो। यह करने से क्या फायदा होता है, यह न करने से क्या नुकसान होता है, ऐसे मनन करो। तो मनन करने से वो शक्ति आपके पास हमेशा हाजि़र रहेगी।

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