जो अच्छी तरह प्यार से बाबा को याद करता है, बाबा उसे कहता- बच्चे, मैं तुम्हारी माँ भी हूँ, प्रीतम भी हूँ… वह बहुत प्यार करता है। उस प्यार में उसी समय मन का दु:ख व शरीर का दर्द सब चला जायेगा।
संगमयुग पर बाबा से हेल्थ, वेल्थ और हैप्पीनेस का वर्सा मिलता है। भक्ति में यह तीनों भगवान से मांगते थे, ज्ञान में यह अपने आप बाबा दे रहा है। भक्ति में जब तक सामने कोई मूर्ति नहीं, मंत्र नहीं तब तक याद नहीं कर सकते। ज्ञान मार्ग में न कोई मूर्ति, न मंत्र, न कोई माला, ज्ञान मार्ग में समझ मिल गई। विवेक कहता है भक्ति में बहुत मेहनत है, बुद्धि भटकती है, धक्के खाती है। वहमी बन जाते हैं। करते हैं तो कुछ प्राप्ति नज़र नहीं आती, नहीं करते हैं तो डर लगता है, कुछ हो न जाये।
बाबा ने ज्ञान देकर हमें निर्भय बना दिया है। भक्ति के बंधनों से छुटकारा पाने से बहुत बहादुरी चाहिए। देह के सम्बन्धों से, दुनियावी पदार्थों से छुटकारा पाना बड़ी बात नहीं है, लेकिन भक्ति से छुटकारा पाना सहज नहीं है। यह ज्ञान नास्तिक के लिए सहज है, वह जल्दी समझ जायेगा लेकिन भक्ति के लिए कठिन है। भक्ति में जो अल्पकाल की प्राप्ति है, उसमें वह फंसा रहता है। अब हमारी बुद्धि में भक्ति और ज्ञान का कन्ट्रास्ट है, इसलिए अब भटकने की ज़रूरत नहीं। फालतू पैसा खर्च करने की ज़रूरत नहीं। अब समझ आ गई कि एक बाबा को याद करना है, अपनी जीवन सफल करनी है।
कई पूछते हैं- हमारी धारणा श्रेष्ठ कैसे बने? धारणा श्रेष्ठ तब बनेगी जब पहले बुद्धि क्लीयर हो। बुद्धि का भटकना छूटे। बुद्धि एकाग्र होकर परमात्मा बाप को याद करे तो धारणा श्रेष्ठ बने। एक धारणा होती है गुणों की, दूसरी धारणा होती है ज्ञान व योग लगाने की। गुण धारण करने की धारणा अलग है, योगयुक्त होने के लिए धारणा अलग है।
योगयुक्त रहने के लिए अशरीरी होकर बाबा से लिंक जोडऩे की लगन हो, इसके लिए चाहिए अन्तर्मुखता और एकान्त। जिसे योगयुक्त होकर रहने की लगन है वह कभी यह नहीं कह सकता कि एकान्त में रहने का टाइम नहीं मिलता है। उसकी रात में भी कई बार आँख खुल जायेगी। नींद ऐसी नहीं होगी जो सोया सो खोया। कोई ऐसे कहते हैं कि क्या करें नींद ही नहीं खुली। कोई फिर कहते नींद आती ही नहीं। योगी के यह चिन्ह नहीं हैं। ऐसे नहीं नींद आये तो बहुत आये, न आये तो आये ही नहीं। जो फालतू ख्याल करते हैं उन्हें नींद नहीं आती। जो फालतू ख्यालात से फ्री रहते हैं वह बाबा की याद में सो जायेंगे। जो बाबा की याद की गोली नहीं खाते, उन्हें नींद के लिए गोली लेनी पड़ती है। योग के टाइम नींद आयेगी, वैसे नींद के समय नींद नहीं आयेगी।
हमारी नींद ऐसी हो जो गुडनाइट की और बाबा की गोद में चले गये फिर आंख खुलने का समय आये तो अपने आप खुल जाए, दिल कहे उठकर बाबा को याद करूँ। जो उठते ही बाबा की याद में बैठता है, वह बाबा का प्यार पाता है। उस समय सुस्ती न आये। यदि सिर में दर्द भी होगा तो ठीक हो जायेगा। जो अच्छी तरह प्यार से बाबा को याद करता है, बाबा उसे कहता- बच्चे, मैं तुम्हारी माँ भी हूँ, प्रीतम भी हूँ… वह बहुत प्यार करता है। उस प्यार में उसी समय मन का दु:ख व शरीर का दर्द सब चला जायेगा। यह धारणा है।
कोई-कोई कहता है मुझे खुशी का अनुभव नहीं होता। लेकिन अनुभव तब हो जब ज्ञान को धारण करो और औरों को दान करो। समय पर जो सेवा सामने आये, उसे दिल से, सच्चाई व प्रेम से करो तो खुशी आयेगी। जो मजबूरी से काम करता उसे खुशी नहीं आती। जो काम दिल से करता, उसे खुशी आती है।