दिनभर में भी जब भी आपको याद आये तो एक सेकण्ड के लिए शांति में स्थित हो जाओ। शांति में स्थित होकर शुभभावना-शुभकामना को प्रवाहित करो। पॉजि़टिव एनर्जी को रेडिएंट करो। बाबा से लेते जाओ जो शक्ति का स्रोत है, सोर्स है।
हमें अपने को परिवर्तन करने के लिए जो बाबा ने बहुत अच्छी बात कही वो है दृढ़ संकल्प, संकल्प किया और हुआ। दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है। कई लोग क्या कहते हैं कि मेरे में सबकुछ है लेकिन दृढ़ता ही नहीं है। अच्छे-अच्छे विचार भी करती हँू, लेकिन दृढ़ता नहीं है इसलिए बार-बार वो संकल्प, क्या हो जाता है? ढीला हो जाता है। लेकिन दृढ़ता सबमें है। दृढ़ता है क्या प्रमाण है? देखो बाबा जब आते है ना तो बाबा का कोर्स किया और महसूस हुआ कि हाँ, ये भगवान का ज्ञान है और रोज़ मुरली सुनना चालू किया तो सबसे पहले पहला पेपर क्या आता है? घर वाले पूछते हैं, ये क्या है? सात दिन पूरे नहीं हुए क्या? रोज़ क्यों जा रहे हो? अब बैठो घर में, तो हम क्या कहते हैं कि नहीं, नहीं भगवान का ज्ञान है ना! और फिर अगर बाबा की मुरली के अनुसार धारणा करना चालू किया। प्याज, लहसुन छोड़ा और जैसे ही प्याज, लहसुन लाना घर में बंद किया तो घर वाले कहेंगे ये कौन-सा नया धर्म है? हेल्थ के लिए अच्छा है खाओ। अच्छा उनके कहने से आप खाने लग जायेंगे प्याज-लहसुन, कि हेल्थ के लिए अच्छा है खाओ तो खाना चालू करेंगे? नहीं, भगवान की श्रीमत है नहीं करेंगे।
अच्छा फिर जैसे आप आगे बढ़े तो अमृतवेला उठना बाबा ने कहा, तो अमृतवेला उठना चालू किया। 3:30 बजे उठ गये। परिवार वाले क्या कहेंगे ये कौन-सा नया धर्म है? आधी रात को उठकर क्या कर रहे हैं? सो जाओ। सो जाओ। सो जायेेंगे? नहीं सोयेंगे ना! रोज़ अमृतवेला करते है ना, कि नहीं करते हैं? तो दृढ़ता की, की नहीं की लोगों ने, परिवार वालों ने कहा, सो जाओ ये आधी रात को उठकर क्या कर रहे हो? तो सो गये हम,तो क्या करे, परिवार वालों ने मना किया है। भगवान की मत को मानेंगे या परिवार वालों की मत को मानेंगे क्या करेंगे? भगवान की मत मानेंगे, तो दृढ़ता है ना! छोड़ा माना छोड़ा।
फिर पवित्रता की धारणा की फिर चाहे कितना भी झगड़ा करना हो, लड़ाई करना पड़े। सब कुछ किया, लेकिन पवित्रता का पालन कर रहे या नहीं कर रहे? है ना दृढ़ता? तो एक छोटा-सा संस्कार परिवर्तन करने की धारणा नहीं ला सकते हैं? छोटी-सी कमज़ोरी, वो कमज़ोरी को छोडऩा नहीं होता है क्या? उसमें बड़ी बात लगती है कि इस स्वभाव को मैं कैसे छोडंू? गुस्से को मैं कैसे छोडूं? इस बुराई को, कमज़ोरी को, बड़े-बड़े विकारों को तो छोड़ दिया लेकिन छोटी-छोटी कमज़ोरियां रह गयीं। जब बड़े विकारों को छोड़ दिया इतनी दृढ़ता के साथ तो छोटी कमज़ोरी कौन-सी चीज़ है बताओ? मुश्किल है! नहीं है ना! तो बस, उसी दृढ़ता का प्रयोग करो और एक-एक कमज़ोरियों के ऊपर विजय पाओ। सहज है ना!
अब सोचो कि ये कमरा है, हॉल है। एकदम अंधेरा है रात को और कोई आ करके कहे अंधरे को निकालो, निकालेगा? अंधेरा निकलेगा नहीं क्योंकि अंधेरे का स्त्रोत नहीं है। लेकिन प्रकाश जलाओ तो अंधेरा दूर क्योंकि प्रकाश का स्त्रोत है। अंधेरे का स्त्रोत नहीं ठीक इसी तरह हमारे अंदर जो कमी-कमज़ोरी है उसका कोई स्त्रोत नहीं है, वो अंधेरा है। लेकिन ये कमी-कमज़ोरी आई क्यों? शक्ति का अभाव यही कमज़ोरी है। प्रकाश का अभाव अंधकार है तो शक्ति का अभाव कमज़ोरी है।
रोज़ अमृतवेले संस्कार परिवर्तन करना है जैसे माना मेरे में क्रोध का संस्कार है और क्रोध का संस्कार परिवर्तन करना है तो ये रिअलाइज़ेशन करो कि ये क्रोध मुझे क्यों आता है। क्या कोई शक्ति की कमी है? धैर्यता की कमी है या सहनशक्ति की कमी है? जल्दी करो, जल्दी करो अगर नहीं हुआ तो गुस्सा आ गया या शांति की कमी है इसलिए गुस्सा आता है। ये एनालाइज़ करो अपनी पर्सनैलिटी में। अब वो गुस्सा निकाला नहीं जाता, लेकिन शक्ति तो भर सकते हैं! तो रोज़ अमृतवेले अपने अंदर सर्वशक्तिमान से शक्तियों का आह्वान करो। सहनशक्ति का आह्वान करो, शांति की शक्ति का आह्वान करो। धैर्यता की शक्ति का आह्वान करो। लगातार करते जाओ। दिनभर में भी जब भी आपको याद आये तो एक सेकण्ड के लिए शांति में स्थित हो जाओ। शांति में स्थित होकर शुभभावना-शुभकामना को प्रवाहित करो। पॉजि़टिव एनर्जी को रेडिएंट करो। बाबा से लेते जाओ जो शक्ति का स्रोत है, सोर्स है। सोर्स से जब शक्ति अपने अंदर भरते जायेंगे तो कमज़ोरी बाहर आती जायेगी।