विद्यार्थियों की समस्यायें और उनका समाधान

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विद्यार्थी जीवन बड़ा ही नाज़ुक जीवन होता है। उस समय पर उन्हें जो राह दिखायेंगे वो उसी राह पर चलने लगेंगे। इसलिए इस जीवन में सही राह चुनने के लिए, सही राह बताने के लिए, जीवन को अच्छा बनाने के लिए सही व्यक्ति का संग और सही गाइड की अति आवश्यकता होती है। 

हमारा जीवन बहुत मूल्यवान है। वैसे भी हमारे देश में तो यह पहले से ही मान्यता रही कि मनुष्य जीवन सभी जीवों में सर्वश्रेष्ठ है, है ही। बुद्धि है, मन है, टैलेंट्स है। यह और जीव-जन्तुओं में थोड़ा ही है। हमें अपने जीवन को वैल्यू देनी है। हम बहुत खुश रहें, हमारे जीवन में शांति ही शांति हो। तनाव, परेशानियां, चिंतायें न हों, बहुत प्रेम हो परिवारों में। सारी दिनचर्या हमारी बहुत सुंदर हो, अपनापन हो। यही तो सुंदर जीवन है ना! इसमें अगर किसी के मन में व्यर्थ संकल्प बहुत चलते हैं- स्वार्थ आ जाए। स्वार्थ बहुत बुरी चीज़ है। अनेक व्यर्थ संकल्प इससेे बढ़ जाते हैं। परिवार में ही कोई अपना, अपना शत्रु बनने लगे तो संकल्पों की झड़ी लग जाती है। परिवारों में संबंधों को वैल्यू देना, मेल-मिलाप को वैल्यू देना, हमारा परिवार एक रहे इसको वैल्यू देना बहुत आवश्यकता है।
अब आगे हम विद्यार्थियों की बात ले रहे हैं। क्रस्टूडेंट लाइफ इज़ द बेस्टञ्ज ये कहावत तो आपने सुनी ही है। और मैं कह रहा हूँ डायमंड लाइफ। इसमें मनुष्य अपने व्यक्तित्व यानी पर्सनैलिटी का भी निर्माण करता है, वो अपने पूरे जीवन के बीज डालता है इसमें। सफलता, असफलता कैसा करियर रहेगा, खुशी में जीवन बीतेगा या चिंताओं में बीतेगा। छोटी-छोटी बातों में टेन्शन होगी या खुशनुमा रहेंगे तो इन सबका आधार है हमारा सुंदर चिंतन। पॉजि़टिव भी, प्युअर चिंतन भी, कहीं पॉवरफुल थिंकिंग भी, जो ज्ञान-योग के मार्ग पर चलते हैं वो इस शब्द को अच्छी तरह समझते हैं। हमें पॉजि़टिव थिंङ्क्षकग पर ध्यान देना है। हमारी थिंकिंग पॉवरफुल भी हो ताकि हम निराश ना हों, हम हार न मान जायें, क्योंकि पॉजि़टिव चिंतन ही हमारे उज्जवल भविष्य का निर्माण करेगा।
सबसे महत्त्वपूर्ण चीज़ तो यह है कि हमें अपनी बुद्धि का विकास करना है। इसके लिए विद्यार्थियों को मैं कहता हूँ कि सवेरे उठकर यह स्थूल प्रैक्टिस भी करनी है, जब भी आप उठो, जल्दी उठेंगे तो और अच्छा इफेक्ट होगा। उठते ही 5 बार संकल्प करें मैं बुद्धिमान हूँ, एकदम विश्वास से कि मैं बुद्धिमान हूँ, मैं जो पढूंगा या पढूंगी मुझे सब याद रहेगा, मैं बुद्धि की मालिक हूँ, बुद्धि पर मेरा कंट्रोल है- हे बुद्धि जो मैं पढूं सबको ग्रहण कर लेना तो देखना कितना अच्छा रिज़ल्ट होगा। तो न तो नर्वस होना, न कमज़ोर पडऩा। ऐसे नहीं एग्ज़ाम देने के लिए बैठे पेपर हॉल में, अब बैठ तो गये लेकिन लंबा-चौड़ा पेपर देखकर घबरा गये। पहले 1-2 क्वेश्चन देखकर मान लो नहीं आते तो मन घबराता है। बच्चों में नर्वसनेस आती है। छोटी आयु होती है- कोई 20 साल का, कोई 22 साल का। थोड़ा-सा स्टेबल करें अपने को। 15 सेकंड शांत में बैठ जाएं। शिवबाबा जो सुप्रीम फादर है उसे याद करें। तुम हमारे साथ हो, बुद्धिमानों के बुद्धिमान, बुद्धि दाता हो तुम। सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है यह संकल्प करो। फिर शांत भाव से लिखना शुरु करें। नर्वसनेस से शुरू करते हैं फास्ट गति चला देते हैं मन की, तो गड़बड़ बहुत होती है। कई बच्चे सुनाते हैं कि हमें तो सब याद था लेकिन हम सब गड़बड़ कर आए। हमें कोई जल्दीबाजी नहीं करनी है एकदम धैर्यपूर्वक, शांतिपूर्वक।
एग्ज़ाम से पहले यह नहीं सोच लेना कि बहुत कम समय है क्वेश्चन बहुत हैं, नहीं तो व्यर्थ संकल्पों की रफ्तार शुरू हो जाएगी और एग्ज़ाम देने के बाद यह भी नहीं सोचना कि पता नहीं रिज़ल्ट कैसा आयेगा! आप अपने रिज़ल्ट को भी अब से ही वायब्रेशन देने शुरू कर दो और वायब्रेशन जायेंगे आपकी पॉजि़टिव थिंकिंग से। मेरा एग्ज़ाम क्लियर हो गया है। कम्प्यूटर देख रहे हैं, मेरा नम्बर लिखा हुआ है। एक बात और जो बहुत इम्र्पोटेंट है- एक लड़के ने बी.ए. कर लिया, बी.टेक. कर लिया। तब कोरोना भी आ गया था तो 6 साल हो गये। नौकरी भी नहीं मिली। फिर उसके फादर की कोरोना से मृत्यु हो गई तो उसे क्लेरिकल जॉब मिल रही थी। अब मेरे पास मिलने आया और मुझसे पूछा अभी मैं क्लर्क बनूं? है तो गवर्नमेंट की जॉब लेकिन मुझे लोग क्या कहेंगे कि बी.टेक. करके बाबू बन गया। लेकिन 6 साल से कोई रोज़गार नहीं। मन पर कितना बुरा असर पड़ता है। इसलिए लोग क्या कहेंगे इस बारे में सोच-सोच कर ज्य़ादा निगेटिव, व्यर्थ, चिंतायें यह सब नहीं पालनी हैं। मैंने उसे कहा कि अब तुम्हें मिल रहा है ना तो 1 साल के लिए ही ज्वॉइन कर लो, छोडऩा तो अपने हाथ में होता है। और दूसरी तरफ अच्छी तैयारी करो। साथ ही साथ और कहीं भी एप्लाई भी कर दो। आपका मन शांत स्थिति में आ जाएगा और वहीं जॉब में आपको कुछ पैसा भी मिलेगा, आपका टाइम भी सफल होगा।
समय पर मनुष्य को जो कुछ मिले उसको लेकर आगे बढ़ जाना चाहिए। इससे एक द्वार खुला है फिर आगे बढ़कर हो सकता है चार द्वार खुले हुए और नज़र आ जाएं तो निराशा के द्वार बंद करके बहुत पॉजि़टिव रहते हुए,स्वयं को मुक्त करके सभी विद्यार्थी अपनी मनोस्थिति अच्छी बनाएं। याद रखेंगे आपका मन जितना सुंदर विचारों में होगा सफलता उतनी आपके पीछे परछाई की तरह आएगी।

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