दृष्टिकोण बदलें, फिर बदल जायेगा जीवन…

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एक आभारी हृदय किसी भी परिस्थिति में उज्जवल पक्ष देखता है। यदि आपको भारी टैक्स चुकाना पड़ता है, तो इसके लिए आभारी रहें, क्योंकि इसका मतलब है कि आपके पास आमदनी है। यदि आपके बच्चे घर में गंदगी फैलाते हैं, तो भगवान का आभार व्यक्त करें कि उन्होंने आपको एक परिवार का साथ दिया है। यदि आपको कड़वी दवा लेनी पड़ रही है, तो इसके लिए आभारी रहें क्योंकि इसका मतलब है कि आप स्वस्थ हो रहे हैं। संसार में एक ही परिस्थिति को विभिन्न लोग अलग-अलग प्रकार से देखते हैं। एक धूप वाले दिन की कल्पना करें, जहां एक व्यक्ति सुंदर धूप के लिए आभारी है, जबकि दूसरा गर्मी से परेशान है। एक बच्चे को स्कूल उबाऊ लगता है जबकि एक वंचित वर्ग का बच्चा सीखने का अवसर पाकर अपने आपको भाग्यशाली मानता है। जिस तरह से हम दुनिया को देखते हैं, वही अंतत: वास्तविकता का निर्माण करती है, जिसमें हम रहते हैं। प्रसिद्ध हेलेन केलर के जीवन से प्रेरणा लें जो पिछली शताब्दी की प्रसिद्ध समाजसेविका थीं। जब वे केवल उन्नीस महीने की ही थीं तो एक गम्भीर संक्रमण ने उन्हें बहरा और अंधा बना दिया किंतु वह अपनी मेहनती शिक्षिका ऐनी सुलिवन की मदद से दृढ़ रहीं। वह कहती हैं, जब खुशी का एक दरवाज़ा बंद होता है तो दूसरा खुल जाता है, लेकिन हम अक्सर बंद दरवाज़े को इतनी देर तक देखते रहते हैं कि हमें वह दरवाज़ा नज़र ही नहीं आता जो हमारे लिए खोला गया है। हमारे अपने जीवन के अनुभव उनके बिल्कुल विपरीत हैं। हम अपने जीवन में हुई अपार कृपाओं के प्रति सजग नहीं हैं। हम ‘प्रेरणात्मक धारणा’ के शिकार हो गए हैं। उदाहरण के लिए, हो सकता है हमारे पास बहुत अच्छी नौकरी हो लेकिन हमारा ध्यान किसी परेशान करने वाले सहकर्मी पर अटका रहता है। बच्चा अधिकांश विषयों में अच्छे अंक प्राप्त करता है लेकिन एक विषय में खराब अंक हो तो वही बार-बार सोचकर हमें बुरा लगता है। इसी तरह हमारे जीवन साथी में अनेक गुण हो सकते हैं लेकिन हम उनकी एक गलती से परेशान हो जाते हैं। हमारे मस्तिष्क में नकारात्मकता का पूर्वाग्रह हमें असंख्य सकारात्मकताओं को त्याग इस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है कि जीवन में क्या गलत है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के कुछ महान नायक इससे विपरीत दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। रंग भेद के खिलाफ अपने संघर्ष में नेल्सन मंडेला को 27 वर्षों तक जेल में रखा गया था। रिहाई के बाद जब वे दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बने तो एक पत्रकार ने उनसे पूछा, आपने 27 साल कारावास की कड़वाहट को कैसे संभाला? उन्होंने कहा, कड़वाहट का सवाल ही नहीं था। मैं बस इस दौर में पूरे समय सीख ही रहा था। जीवन की कठोर परिस्थितियों को सकारात्मक तरीके से देखने को ‘पॉजि़टिव रीफ्रेमिंग/सकारात्मक पुनर्रचना’ की तकनीक के रूप में भी जाना जाता है। यह आपको चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को विकास के अवसरों में बदलने के लिए प्रेरित करती है। हम इस शक्तिशाली तकनीक को अपने दैनिक जीवन में कैसे लागू कर सकते हैं? सबसे पहले जब भी कोई नकारात्मक विचार मन में आये तो अपने से पूछें, क्या इस परिस्थिति के बारे में सोचने का कोई बेहतर तरीका है? इसमें मेरे लिए क्या नई सीख या सबक है? मैं इस अनुभव के माध्यम से स्वयं को कैसे सुधार सकता हूँ? दूसरा, परिस्थितियों को सकारात्मक दृष्टि से देखने के लिए उन्हें नया स्वरूप दें। इसे कुछ उदाहरणों के माध्यम से बेहतर ढंग से समझते हैं। नकारात्मक परिस्थिति: मैंने अभी-अभी अपनी नौकरी खोई है, मैं अपना घर कैसे चलाऊंगा? ऑफिस में किसी और को क्यों नहीं निकाला गया? मेरा जीवन न्यायपूर्ण नहीं है। सकारात्मक पुनर्रचना: यह मेरे लिए अन्य संभावनाओं को खोजने का अवसर है। मैं अपनी कुशलता बढ़ा सकता हूँ। और बेहतर नौकरी पा सकता हूँ। नकारात्मक परिस्थिति: किसी ने मुझे ठेस पहुंचाई है। मेरा मन उनके गलत व्यवहार पर विचार कर रहा है और आक्रोश पाले हुए है। सकारात्मक पुनर्रचना: ईश्वर उस व्यक्ति के हृदय में विराजमान है, वह मेरी परीक्षा ले रहे हैं और चाहते हैं कि मुझमें सहनशीलता का गुण बढ़े। दु:ख तो जीवन को नकारात्मकता और असंतोष के चश्मे से देखने का परिणाम मात्र है। अगली बार जब आप स्वयं को चिंतित या उदास महसूस करें, तो बस अपना दृष्टिकोण बदल लें, और खुशी का द्वार जादुई रूप से खुल जायेगा।

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