इसीलिए नौ दिन मनाया जाता है नवरात्रि का त्योहार

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भारतीय त्योहारों में शक्तिअर्थात् महिला का बड़ा ही महत्वपूर्ण रोल है। इसीलिए उसको पूजते हैं। पुरुष जब चारों ओर से मूंझ जाता है, उलझ जाता है, उन्हें कोई रास्ता दिखाई नहीं पड़ता तब वो कहाँ जाता है? देवताओं के पास तो नहीं ना! सोचो…! वो जाता है दुर्गा के पास। उससे शक्ति मांगता है। क्योंकि शिव-शक्ति से ही वो आने वाली चुनौतियों को चैलेंज कर सकता है। ये भावना उनकी कहीं न कहीं भीतर सुषुप्त रूप में आज भी छिपी हुई है। इसीलिए भारत भूमि पर परमात्मा ने महिलाओं को सशक्त बनाया; और उसके द्वारा समाज में विकृत मानसिकता को बढ़ावा देने वाले पर विजय दिलायी। इसीलिए यहाँ भारत में क्रवन्दे मातरम्ञ्ज कहते हैं और कहीं, किसी भी देश में इस तरह का गायन नहीं है।

जब भी बात नवरात्रि की आती है, तो हमारे दिमाग में पूजा-पाठ, देवी माँ की अर्चना, आरती तक ही सीमित रह जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि का त्योहार क्यों मनाया जाता है? इसकी मान्यता क्या है? दशकों से हम नवरात्रि का त्योहार मनाते आ रहे हैं, व्रत रखते आ रहे हैं, देश के अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग तरीकों से इस त्योहार को मनाया जाता है। कहीं कुछ लोग पूरी रात गरबा और आरती कर नवरात्रि के व्रत रखते हैं। तो कहीं कुछ लोग व्रत और उपवास रख माँ दुर्गा और उसके नौ रूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। जैसे कि नौ दुर्गा के नौ देवियों का क्रमश: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री के रूप में पूजा-अर्चना कर उससे वर मांगते हैं। ये तो हम सभी करते ही हैं लेकिन इस नवरत्रि के पीछे असल कहानी क्या है, इसको समझते हैं। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है, महिषासुर नाम का एक बड़ा ही शक्तिशाली राक्षस था। वो अमर होना चाहता था। और उसी इच्छा के चलते उसने ब्रह्मा की कठोर तपस्या की। ब्रह्मा जी उसकी तपस्या से खुश हुए और उसे दर्शन देकर कहा कि उसे जो भी वर चाहिए, वो मांग सकता है। महिषासुर ने अपने लिए अमर होने का वरदान मांगा। महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्मा जी बोले, जो इस संसार में पैदा हुआ है, उसकी मौत निश्चित है। इसलिए जीवन और मृत्यु को छोड़कर जो चाहे मांग लो। ऐसा सुनकर महिषासुर ने कहा कि ठीक है प्रभु, मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि मेरी मृत्यु ना तो किसी देवता या असुर के हाथों हो और ना ही किसी मानव के हाथ। अगर हो तो किसी स्त्री के हाथों। महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्मा जी ने तथास्तु कहा और चले गए। इसके बाद तो महिषासुर तो राक्षसों का राजा बन गया। उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया। देवता घबरा गये। हालांकि उन्होंने एकजुट होकर महिषासुर का सामना किया जिसमें भगवान शिव और विष्णु ने भी उनका साथ दिया। लेकिन महिषासुर के हाथों सभी को पराजय का सामना करना पड़ा। और देवलोक पर महिषासुर का राज हो गया। महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने विष्णु जी के साथ आदि शक्ति की आराधना की। उन सभी के शरीर से एक रोशनी निकली जिसने एक बेहद खूबसूरत अप्सरा के रूप में देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया। देवी दुर्गा को देख महिषासुर उनपर मोहित हो गया और उनसे विवाह का प्रस्ताव सामने रखा। बार-बार वो यही कोशिश करता रहा। देवी दुर्गा मान गई लेकिन एक शर्त पर… उन्होंने कहा कि महिषासुर को उनसे लड़ाई में जीतना होगा। महिषासुर मान गया। और फिर लड़ाई शुरु हो गई जो नौ दिनों तक चली। दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर दिया… और तभी से ये नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। आज के परिदृश्य में हम देखें तो महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, दुराचार करने वाले को हम उसी श्रेणी में ही देख सकते हैं। जो विकारों के वशीभूत ऐसे भ्रष्ट, विकृत कृत्य करते हैं। ऐसे में आदि शक्ति(शिव शक्ति) स्वरूपा दुर्गा बन इस धरा पर अवतार लेती है और ऐसे असुरों का संहार करती है। इसी की यादगार में मानव में व्याप्त विकृतियों पर विजय पाने के रूप में नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। और दसवें दिन को विजयादशमी के रूप में मनाते हैं।

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