स्वयं को देख स्वयं को बदलें

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ज्ञान तो सुन लिया लेकिन जब तक उस ज्ञान को मनन नहीं करेंगे तब तक अपना नहीं बनेगा। बाबा ने जो ज्ञान का खज़ाना दिया है उस खज़ाने को मनन शक्ति से ही अपना बना सकते हैं

आप सभी दिव्य गुणों के गुलदस्ते हो ना! दिव्यगुणों के गुलदस्ते से जीवन महक जाती है। तो आप सबकी जीवन सदा महकी हुई रहती है ना! एक बार बाबा ने कहा था और कोई दान आप नहीं कर सकते हो लेकिन गुणदान तो कर सकते हो। ब्राह्मणों को दान तो नहीं करेंगे। सहयोग देंगे।
किसी में 99 अवगुण हों लेकिन एक गुण, एक विशेषता ज़रूर सभी में होती है। कोई उस विशेषता को जानते हैं और कोई अपनी विशेषता को जानते हैं और कोई अपनी विशेषता को भी जानते नहीं हैं। बाबा ने आपको अपना बनाया है तो बाबा कहते हैं- तुम सब विशेष आत्मायें हो। तो कोई विशेषता देखी तब तो आपको अपना बनाया। नहीं तो दुनिया में कितनी कुमारियां हैं पढ़ी-लिखी हुई, बहुत जज, वकील हैं। बाबा को आप ही पसन्द आई तब तो आप बाबा की बनी ना! आपने बाबा को तो पहचाना। चलो कोई विशेषता आप में नहीं हो, यह विशेषता तो है कि भगवान को पहचान लिया। तो यह तो कितनी बड़ी विशेषता है आप सबमें, है कि नहीं है? तो हरेक में कोई न कोई विशेषता होती ज़रूर है लेकिन विशेषता को कार्य में लगाना और उसको बढ़ाना है। अभी जो उस विशेषता को पहचानते ही नहीं हैं, तो वह बढ़ायेंगे क्या? और जितना आप विशेषता को कार्य में लगायेंगे, अभिमान से नहीं लेकिन सेवा भाव से तो आपकी विशेषता बहुत बढ़ती जायेगी और सेवा में बहुत सफलता मिलेगी। मम्मा हमको कहती थीं कि आप में यह विशेषता है इसको सेवा में लगाओ तो यह दुगुनी, तिगुनी हो करके 100 प्रतिशत हो जायेगी, इसीलिए हमारी जीवन जो है वो श्रेष्ठ बनाना या साधारण बनाना अपने हाथ में है।
वर्तमान समय जो भी हो रहा है, जो भी सुनने-देखने को मिल रहा है, यह सब आपके पेपर हैं, बिना पेपर के कोई पास होता है? के.जी. वाले का भी पेपर होता है। वह भी पेपर के बिना आगे नहीं बढ़ सकते। तो हम 21 जन्म का राज्य-भाग्य लेंगे, आधाकल्प पूज्य बनेंगे, आधा कल्प राजा बनेंगे और बिना पेपर के! यह कैसे हो सकता है? ब्राह्मणों के संसार के हिसाब से अभी स्थापना का कार्य बहुत आगे बढ़ गया है। उसमें आप समझो पहले बहुत अच्छा था, अभी ऐसा क्यों हुआ, अरे पहले तो तुमको अंगुली पकड़ करके बाबा ने चलाया। छोटे बच्चों को माँ-बाप अंगुली पकड़कर चलाते हैं क्योंकि गिरे नहीं, चोट नहीं लगे। अभी वह जब बड़ा होगा तो भी माँ बाप अंगुली पकड़कर चलेंगे क्या? तो आप भी अब बड़ी हो गई हो। अभी पहले जैसे थोड़े ही बाबा आपको अंगुली से पकड़ करके चलायेंगे। इसलिए आप यह सोचो कि वर्तमान समय हमको अपने को बदलना है, यह पक्का कर दो। संकल्प की स्याही से यहाँ मस्तक में लिख दो कि मुझे बदलना है।

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