पेट में अधिक एसिड बनने से एसिडिटी की समस्या होती है। जीवनशैली व आदतों में सुधार लाकर और घरेलू उपाय करके इससे राहत पाई जा सकती है।
एसिडिटी बहुत सामान्य सी समस्या लगती है, लेकिन जो लोग इससे हर रोज़ जूझते हैं उन्हें काफी पीड़ा उठानी पड़ती है। दरअसल, जब भोजन पाचन तंत्र में पहुंचता है तब हाइड्रोक्लोरिक एसिड बनता है। यह एसिड पेट की ग्रंथियों द्वारा खाने को तोडऩे और पचाने का काम करता है। जब यही एसिड ज़रूरत से ज्य़ादा मात्रा में बनने लगता है, तो एसिडिटी हो जाती है। इससे पेट में जलन होने लगती है, जो सीने तक पहुंच जाती है। इसे हार्ट बर्निंग भी कहा जाता है।
इन लक्षणों से पहचानें
आमतौर पर एसिडिटी के लक्षण तब महसूस होते हैं जब पेट की ग्रंथियों द्वारा निर्मित एसिड मुंह से पेट को जोडऩे वाली भोजन नली में प्रवाहित हो जाता है। इसके अलावा जो लक्षण हैं उनके बारे में भी जानें-
पेट, गले, सीने में दर्द और जलन होना एसिडिटी के सामान्य लक्षण हैं जो कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटो तक महसूस हो सकते हैं।
पेट में अधिक एसिड के कारण निगलने में कठिनाई होती है या गले में खाना फंसने का अहसास होता है। इससे पाचन में भी बाधा आती है।
भोजन के ठीक से ना पचने और अधिक एसिड के कारण उल्टी का अनुभव भी होता है।
मुंह में लंबे समय तक खट्टा या कड़वा स्वाद भी एसिडिटी के मुख्य लक्षणों में से एक है।
कब्ज, अपच, बार-बार डकार या हिचकी आना, खाने के बाद पेट में भारीपन, बेचैनी, पेट फूलना या गैस, बदबूदार सांस, बिना पचे भोजन का मुंह में वापस आना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
सांस लेने में परेशानी भी हो सकती है।
एसिडिटी होती क्यों है?
एसिडिटी आमतौर पर लगातार खानपान में गड़बड़ी के कारण हो सकती है, जैसे अनुचित समय पर अधिक और भारी भोजन करना, खाने के तुरंत बाद लेट जाना, भोजन में फाइबर की कमी, व्यायाम से ठीक पहले खाना खा लेना आदि।
ध्रूमपान, शराब और सोडे का अधिक सेवन, नींद की कमी, तनाव आदि समस्या को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा, अधिक लाल मिर्च व सिरके के सेवन से भी एसिडिटी की दिक्कत हो सकती है।
कुछ ऐसी चीज़ें जिन्हें पचाना मुश्किल होता है उनके अधिक सेवन से भी समस्या बढ़ जाती है। इन खाद्य पदार्थों में चाय, कैफीन, अधिक मसालेदार भोजन, नींबू और संतरे जैसे खट्टे फल और फास्ट फूड जैसे अधिक वसा वाले खाद्य पदार्थ शामिल हैं।
हाई ब्लड प्रेशर, चिंता, अवसाद और अन्य बीमारियों के लिए दवाओं का लगातार सेवन भी एसिडिटी का कारण हो सकता है।
थोड़े बदलाव की ज़रूरत है
अधिक मसालेदार भोजन का सेवन न करें। अपने आहार में फल व हरी सब्जियां शामिल करें। दिनभर में टुकड़ों में यानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही भोजन करें। अधिक मात्रा में पानी पिएं। रात के खाने और नींद के बीच कम से कम 2 घंटे का अंतर ज़रूर रखें। नियमित रूप से व्यायाम करते रहें और शराब व धूम्रपान की आदतों को छोडऩे की कोशिश करें। इसके अलावा डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी तरह की एसिडिटी की दवा ना लें।
घरेलू उपाय मदद करेंगे
अदरक में पेट के एसिड को कम करने का गुण पाया जाता है, इसलिए भोजन के तुरंत बाद अदरक की चाय पीने से एसिडिटी की समस्या से राहत मिलती है।
तुलसी की 4-5 पत्तियों को चबाएं और इसके रस को निगल लें। तुलसी पेट में एसिड के स्तर को कम करने में मदद करती है।
आधा चम्मच जीरे को 1 कप पानी में उबालें, छानें और ठंडा करके थोड़ी-थोड़ी देर में पीते रहें। इससे एसिडिटी के दौरान होने वाले दर्द और बेचैनी से राहत मिलेगी।
दूध में पाया जाने वाला कैल्शियम एसिड के अधिक स्राव को कम करता है। पेट या सीने में जलन के दौरान बिना शक्कर के एक गिलास ठंडा दूध पीने से राहत मिलेेगी।
पेट की जलन शांत करने के लिए पुदीने की चाय काफी कारगर है। इसके अलावा पुदीने व अदरक की चाय भी भोजन के बाद लेने से एसिडिटी में आराम मिलेगा।
एसिडिटी को गंभीरता से लें
एसिडिटी की समस्या लगातार रहने से आंतों का अल्सर और कैंसर जैसी बीमारियां तक हो सकती हैं। इसलिए बिना लापरवाही बरते अपनी जीवनशैली में सुधार करें और उपचार व परामर्श के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।