आज जब हम किसी के साथ बैठे होते हैं तो थोड़ा-सा वहाँ बैठने का स्थान छोटा हो तो हम थोड़ा असहज महसूस करते हैं। सहज तरीके से बैठने के लिए हमें भी स्पेस(स्थान) चाहिए होता है। जगह, स्थान चाहिए होता है। इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति शांत तब तक नहीं रह सकता जब तक उसे सहज तरीके से स्थान न मिले। इसको अगर बहुत आसान शब्दों में समझा जाये तो ऐसे कह सकते हैं कि हमको सबके आस-पास या सबके साथ स्पेस न मिले, एक जगह न मिले तो हम अपने आप को असहज महसूस करते हैं।
कहा जाता है कि घर में आज समाज के एक मायने सबके साथ रहते हैं। वो मायने ये हैं कि जब भी कोई व्यक्ति किसी से मिलता है, बात करता है तो कहता है कि मुझे इस चीज़ की फ्रीडम(आज़ादी) नहीं है, मुझे यहाँ जाने की छूट नहीं है, मुझे ये करने की छूट नहीं है, मैं ये नहीं कर सकता, मैं वो नहीं कर सकता। इसका मतलब मुझे स्थान नहीं है। मेरे पास जगह नहीं है। जगह का मतलब दिल में जगह नहीं है किसी के। तो इसका अर्थ क्या हुआ कि जब हमें कहीं पर किसी के आस-पास स्थान नहीं मिलता है, किसी के दिल में जगह नहीं मिलती है तो हम सभी अशांत हो जाते हैं। और दुनिया में भी साइंटिफिक प्रूव्ड है कि जब हम बाहर के स्पेस को बहुत ध्यान से देखते हैं, वो ऊपर आसमान है जो अनलिमिटेड(असीमित) है उसको देखने से हमें शांति मिलती है। इसका मतलब जो इनर स्पेस है- अन्दर वाला और जो बाहर का स्पेस है दोनों को एक साथ जोड़ा जाये तो कहा जाता है कि जो अन्दर जितना ज्य़ादा शांत है वो बाहर इतनी सारी चीज़ों को देखकर उतना शांत होता है। तो स्पेस का कनेक्शन(सम्बन्ध) शांति से है। अब ये बात सहज तरीके से समझ आने लग गयी है कि सम्भावनायें इस दुनिया में कहाँ पनपेंगी- जहाँ पर स्पेस होगा, जहाँ पर जगह होगी, जहाँ पर किसी को दिल में स्थान दिया, घर में स्थान दिया। वहाँ पर सम्भावनायें पनपती हैं। आप इस बात को शिव बाबा(परमात्मा) से जोड़ सकते हैं कि जैसे जब हम बाबा(परमात्मा) के बच्चे बनते हैं और बनने के बाद जिसके घर में स्थान होता है तो उनको हम कहते हैं कि आप अपने घर में बाबा का एक कमरा बनाओ, भगवान का एक कमरा बनाओ। और उस कमरे में सिर्फ परमात्मा को जगह दो। एक घर में भी जगह और एक दिल में भी जगह। तो जब जगह मिलती है तो देखो घर में ऐसे ही शांति का महौल पैदा हो जाता है। क्योंकि आपने परमात्मा को जगह दी। वहाँ से सम्भावनायें आपके लिए खुल गयी। लेकिन इस दुनिया में अगर किसी के जीवन को पल्लिवत और पुष्पित करना है, आगे बढ़ाना है तो उसको स्थान देना होगा, उसको जगह देनी होगी, उसको फ्रीडम देनी होगी कार्य करने की, बात कहने की, खाने की, पीने की, सोने की, जागने की। जोकि आध्यात्मिक एक रहस्य है कि व्यक्ति हरेक चीज़ से भरपूर है लेकिन वो असहज है क्योंकि उसको स्थान नहीं है। वो कोई भी कार्य उस स्थिति, उस अवस्था से नहीं कर सकता जैसा वो चाहता है। दुनिया में जो बड़े-बड़े साइंटिस्ट हुए, जिन्होंने रिसर्च किया, उन्होंने स्पेस लिया खुद, मेहनत की। और इतना स्पेस लेने के बाद, मेहनत के बाद तभी बहुत बड़ा चमत्कार सबके सामने वो ला पाते हैं।
तो हम सब परमात्मा के बच्चे हैं और हम सबको अगर सम्भावनाओं को पनपाना है किसी के लिए भी, तो उसको जगह दो, उसको स्थान दो। सामान्य रीति से अगर इसको समझना है तो आज घर में, परिवार में जब भी कोई यहाँ पर अपनी समस्या लेकर आता है, जो घर और परिवार से जुड़े हुए लोग हैं उनकी बात चल रही है वो आकर सबसे पहले यही बात कहते हैं कि हरेक चीज़ सबसे पहले उनसे पूछो या उनको बताओ। ये वैसे तो मर्यादा है पूछना भी चाहिए और बताना भी चाहिए। लेकिन कहाँ क्या ज़रूरी है ये बहुत जानना ज़रूरी है। जैसे मान लिया कि मुझे, जिस कार्य से मेरी उन्नति है अगर वो कार्य करने की छूट मिल जाये तो उससे मैं शांतिपूर्ण तरीके से अपने आप को बदल लूंगा। लेकिन समाज में सभी एक कूपमंडूक शब्द होता है, कूपमंडूक का मतलब कुएं का मेंढक जिसको कहते हैं उससे ज्य़ादा न सोच पाते हैं, न उसेे अच्छा दे पाते हैं। कहते हैं कि मान्यतायें चली आ रही हैं कि सबको दबा के रखो। सबको इस तरह से रखो, सबको किसी तरह की छूट मत दो, नहीं तो वही बाद में तुम्हारे ऊपर चढ़ के बैठेंगे आदि-आदि। अब ये सारी बातें पहले की थीं। उससे मानसिकता भी छोटी रही और डेवलप(विकास) भी नहीं कर पाये। आज शिव बाबा हमको मिले, परमात्मा हमको मिले, परमात्मा ने हम सबके लिए दरवाजा खोला कि तुमको विश्व का मालिक बनना है। तो तुमको गहराई से शांति का अनुभव करना है। जहाँ गहरी शांति है मतलब जहाँ जगह है, जहाँ स्पेस है, जहाँ स्थान है वहाँ पर सम्भावनायें बहुत गहराई से पनप जायेंगी। मतलब पूरे विश्व का मालिक बनने के लिए दिल कितना विशाल चाहिए। इसका अर्थ है सबको जगह देने का, सबको दिल में बसाने का। हमारे उदाहरण में प्रजापिता ब्रह्मा बाबा जिन्होंने सबको बच्चे कहा, सबको दिल में भी स्थान दिया, सबको घर में भी स्थान दिया और आज विश्व पिता जो शिव बाबा है वो सभी को मधुबन, पांडव भवन या जो भी परमात्मा के स्थान हैं बड़े-बड़े सभी को स्थान है। तो देखो जहाँ स्थान दिया वहाँ पर सम्भावनायें पनप गयीं। तो ऐसे ही यदि किसी का विकास करना है और गहरी शांति लानी है तो उसको उसके लिए जगह चाहिए ही चाहिए। अगर आप उसको फुल टाइम डिमोलाइज़ करोगे, उसको नीचे गिराओगे, उसकी टांग खिंचोगे, उसको स्थान नहीं मिलेगा तो वो व्यक्ति डिप्रेशन में चला जायेगा, और अपने आपको असहज महसूस करेगा। इसलिए सबको जगह दो, सबको पनपाओ, सबकी सम्भावनाओं को आगे बढ़ाओ। ये हमारा लक्ष्य है और ये विश्व राज्य को पाने वाली आत्माओं का लक्षण भी है।