शांति के सागर में डुबकी लगायें तो चेहरा चमकता हुआ दिखाई देगा

0
229

हमारा बाबा रत्नागर, जादूगर, सौदागर है, उससे सौदा किया है। वह दाता, भाग्यविधाता है। ऐसे बाप को अगर न समझा तो कुछ नहीं समझा। बाबा को नहीं समझा माना अभिमान अन्दर बैठा है। कहाँ न कहाँ छिपकर अभिमान हमको यूज़ करता है, हम अभिमान के बिगर चल नहीं सकते हैं। जैसे बाबा ने देह का लोन लिया है, पर हमने तो दे दिया है। तन, मन सब ईश्वर अर्थ है। बच्चे लोन पर गोद थोड़े ही लेते हैं। अपना समझकर गोद लेते हैं। हम अधिकारी हैं तो क्या हमारे तन को बाबा सम्भालेगा नहीं!
मेरे को किसी ने पूछा था कि क्या एक मिनट में सब शान्त हो जायेंगे? तो एक मिनट का कितना फायदा है। एक मिनट में 60 सेकण्ड होते हैं। हरेक देखे कि कम से कम बाबा की साठ बातें हमारे पास हैं। कोई भी बात एक सेकण्ड में अपसेट तो नहीं कर देती है। साइलेन्स पॉवर क्या होती है जो अन्दर से यह जानता है, वो अशान्त नहीं हो सकता। बाबा ने ऐसा ज्ञान घोट के पिलाया है जो एक मिनट भी हम अशान्त नहीं हो सकते हैं। जो जितना बड़ा होता है, उसके पास अशान्ति का कारण भी उतना बड़ा होता है। हमें निमित्त बाबा ने बनाया है तो कोई कारण से भी मुझे अशान्ति हुई तो एम्बयूलेन्स बुलाना पड़ेग
जस्ट एक मिनट क्या है! अपने मन की अशान्ति हम सबको खत्म करनी है ताकि दुनिया से अशान्ति खत्म हो जाये। प्रैक्टिकली अशान्ति का कोई कारण है नहीं, भारी होने का कारण कोई है नहीं। अशान्ति भारी बनाती है, शान्ति हल्का बना देती है। कोई निर्णय करना है हाँ, भले। बहुत विचार की ज़रूरत नहीं है। बहुत विचारों से वातावरण भारी हो जाता है। मैंने आपका विचार नहीं माना या आपने मेरी नहीं मानी तो स्नेह चला गया। स्नेह चला गया तो रूखा बन गया, शान्ति का वातावरण चला गया। शान्ति के लिए चाहिए प्रेम, प्रेम में चाहिए शक्ति। अगर कोई अपने आपको बाबा के प्यार से, पवित्रता के बल से नहीं चलाता है तो शक्ति नहीं आ सकती है। फिर कोई मच्छर भी काटेगा तो मुंह फूल जायेगा। क्यों, बाबा के लाडले, सिकीलधे बच्चे हैं। दुनिया वालों को इतना फील नहीं होता है, हमको यहाँ ज्य़ादा फील होता है। क्यों? बाबा हमारे में नैचुरल शक्ति भर रहा है। देवता पीछे बनेंगे, ब्राह्मण जीवन में ईश्वरीय गुण भर रहे हैं। अगर गुणों को धारण करने पर ध्यान नहीं है तो बाबा के प्यार की शक्ति यूज़ नहीं कर रहे हैं। अगर प्यार की शक्ति यूज़ करें तो वातावरण को हल्का और शान्त बनाना सहज है। जो मेरे योग्य नहीं है, वह संकल्प में भी नहीं आ सकता। याद रहे कि मैं आत्मा परमात्मा का बच्चा हूँ, तो वातावरण शान्त रहेगा। यह रिहर्सल नहीं करते हैं तो नम्बरवन क्वालिटी नहीं बनते हैं। शान्ति के सागर में डुबकी लगायें तो चेहरा चमकता हुआ दिखाई देगा। शान्ति में प्रेम, प्रेम में शक्ति, शक्ति में खुशी, इससे फिर आनंद स्वरूप स्थिति बन जाती है। इसी भावना से मैंने कहा दिल बड़ी रखो। सेवा हुई पड़ी है, अपना पुरूषार्थ करो, सफलता हुई पड़ी है, फिकर मत करो। हरेक पहले से बेफिकर रहने, राज्य अधिकारी बनने का अभी भाग्य ले लो। ऐसी स्थिति बनाना माना बाबा का नाम बाला करने के निमित्त बनना।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें