आजकल हम तनाव के साथ जीने के इतने आदती हो गए हैं कि जिस दिन तनाव न हो उस दिन तनाव क्यों नहीं है उसका तनाव हो जाता है। है कि नहीं? और कइयों ने तो स्वीकार कर लिया है कि तनाव होगा ही, तनाव के बिना लाइफ नहीं है। ये एक्सेप्ट कर लिया है।
आज शारीरिक रूप से किसी को वायरल फीवर भी आ जाए, सर्दी, जुकाम, बुखार आ जाए और डॉक्टर के पास जायेंगे और डॉक्टर से पूछेंगे कि ये मुझे क्यों हुआ? तो सिम्पल शब्द में डॉक्टर साहब कह देंगे कि वायरल है। लेकिन अगर आप डॉक्टर साहब से पूछो कि ये वायरल मुझे ही क्यों हुआ और किसी को क्यों नहीं हुआ? या हमारे घर में पांच मेम्बर हैं सिर्फ ये मुझे ही क्यों हुआ? तो डॉक्टर साहब क्या कहेंगे, क्यों हुआ आपको? यही कहेंगे कि आपकी शारीरिक प्रतिरोधक शक्ति क्षीण है। फिजि़कल इम्यूनिटी कम है। इसलिए बाहर के वायरस ने अटैक किया और आपको सर्दी, जुकाम, बुखार हो गया। बाकी पूरे परिवार की इम्यूनिटी अच्छी है तो उनको अटैक नहीं किया। सिम्पल एक्सप्लेनेशन है। लेकिन एक वायरल फीवर भी हो जाए तो उसके साथ भी हम जीना नहीं चाहते हैं। तुरन्त डॉक्टर के पास जाकर उसको समाप्त करना है, एंटीबायोटिक लेकर कुछ भी करके उसको खत्म करना है। ये नहीं कि शरीर की अपनी एक हीलिंग पॉवर है और तीन दिन के अन्दर वो हील हो जाएगा। नहीं हम तुरन्त उससे फ्री होना चाहते हैं।
तो फिर तनाव के साथ जीना क्यों चाहते हैं? तनाव से मुक्त होना क्यों नहीं चाहते हैं? लेकिन जैसे कहा कि आजकल हम तनाव के इतने आदती हो गए हैं साथ जीने के कि जिस दिन तनाव न हो उस दिन तनाव क्यों नहीं है उसका तनाव हो जाता है। है कि नहीं? और कइयों ने तो स्वीकार कर लिया है कि तनाव होगा ही, तनाव के बिना लाइफ नहीं है। ये एक्सेप्ट कर लिया है। अरे! क्यों हम तनाव के साथ जीना चाहते हैं? क्यों नहीं मुक्त होना चाहते? ये तनाव क्या चीज़ है, प्रैक्टिकली यदि देखा जाए तो ये तनाव तब उत्पन्न होता है जब हमारी स्पिरिचुअलिटी इम्यूनिटी कम होती है। हमारी आध्यात्मिक प्रतिरोधक शक्ति क्षीण होती है तो हर छोटी-बड़ी बात मन को प्रेशर में ले आती है, दबाव में ले आती है उस दबाव को कहा जाता है तनाव। मनुष्य महसूस भी करता है कि पहले इतना तनाव नहीं होता था। आजकल ज्य़ादा होता है। हर छोटी से छोटी बात तनाव क्रिएट कर रही है। हर छोटी-छोटी बातों में गुस्सा आ रहा है, चिड़चिड़ापन आ रहा है, छोटी-छोटी बातों में मिसअंडरस्टैंडिंग हो रही है, छोटी-छोटी बातों के अन्दर किसी ने कोई अच्छी बात कही, कोई अच्छी भावना से कही तो भी हम समझ लेते हैं कि ये हमें कमेंट कर रहा है, टोंट मार रहा है तो फिर आवेश में आ जाता है। ये सब लक्षण बताते हैं कि हमारी स्पिरिचुअलिटी इम्यूनिटी बहुत क्षीण है। जिस तरह हवा, मन चेंज होता है तो उसका प्रभाव शरीर पर आता है, और शरीर रिएक्ट करता है कि सर्दी-जुकाम, बुखार हो गया।
ठीक इसी तरह जब हमारी नॉर्मल लाइफ में कुछ परिवर्तन होता है, हमारे हिसाब से किसी ने कुछ किया नहीं, या हुआ नहीं तो हम इरिटेट हो जाते हैं। माइंड रिएक्ट करने लगता है। और ये माइंड जब रिएक्ट करता है तो उसको गुस्सा आता है, चिड़चिड़ापन आता है, मिसअंडरस्टेंडिंग होने लगती है, ये सब होने लगता है, अब सोचने की बात ये है कि इतना तो हम सभी समझ सकते हैं कि आने वाला समय कैसा होगा? परिस्थितियां बढ़ेंगी या कम होंगी? समस्याएं कम होंगी या बढ़ेंगी? तनाव के कारण बढ़ेंगे या कम होंगे? बढ़ेंगे ना! ये सबकुछ बढऩे वाला है और ऐसे समय में हमारी स्पिरिचुअलिटी इम्यूनिटी बहुत ही लॉ हो जाए तो क्या हम समय के साथ चल पाएंगे? नहीं चल पाएंगे। तो स्पिरिचुअल इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए क्या किया जाता है? कुछ नहीं। फिजि़कल इम्यूनिटी के लिए किसी ने कह दिया कि ये गोली लेनी चाहिए तो ताकत बनी रहेगी, चेंज ऑफ वेदर का प्रभाव उसपर नहीं पड़ेगा, हम तुरंत मल्टीविटामिन्स लेना चालू करते हैं, कि ये तो होना चाहिए।
लेकिन स्पिरिचुअल इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए पहली बात कोई दवाई तो है नहीं, कि दवाई ले ली और आपकी स्पिरिचुअल इम्यूनिटी बढ़ गई। तो स्पिरिचुअल इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए क्या किया जाए? आध्यात्मिक प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाना है ताकि हर छोटी-बड़ी बात में भी हमारा मन शांत रहे। हम परिस्थिति को भी अच्छी तरह से हैंडल कर सकें, खुद को भी हैंडल कर सकें। समस्याओं में हमें समाधान प्राप्त हो जाए उसके लिए कोई दवाई तो है नहीं। ले लिया और खत्म हो गई बात, नहीं। उसके लिए भी हमें आवश्यकता है जागृति लाने की। तब हम आने वाले समय में खुद को भी हैंडल कर सकेंगे, परिस्थिति को भी हैंडल कर सकेंगे, और दूसरों को भी सहारा दे सकेंगे। धैर्य दे सकेंगे, और ये समय बहुत फास्ट दिखाई दे रहा है।




