मुख पृष्ठलेखपरमात्म समर्पित संदेश वाहक - राजयोगी ब्र.कु. बृजमोहन भाई

परमात्म समर्पित संदेश वाहक – राजयोगी ब्र.कु. बृजमोहन भाई

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के महासचिव राजयोगी ब्र.कु. बृजमोहन भाई ने अपना शरीर छोड़कर ईश्वरीय गोद ले ली है। उनका प्रयाण सभी के लिए प्रेरणास्रोत और आध्यात्मिक मशाल की तरह है, श्रीमद्भागवत गीता के माध्यम से गीता के भगवान का परिचय वे देश दुनिया को देने के लिए बड़े-बड़े सम्मेलन करते रहे। साधु-संत और महामंडलेश्वर भी उनके मुरीद थे। 9 अक्टूबर का दिन यज्ञ के इतिहास के महत्त्व को और योगी के तप को हमेशा दर्शाता रहेगा।

ईश्वरीय सेवा के प्रति समर्पित ब्रह्माकुमारीज़ का नेतृत्व ब्रह्माबाबा ने ओम मंडली के समय ही उस समय की बच्चियों के नाम ट्रस्ट बनाकर अपनी सारी संपत्ति ट्रस्ट में निहित कर संस्था का नेतृत्व भी बच्चियों को ही सौंप दिया था। लेकिन बिना भाइयों के सहयोग के इस ईश्वरीय यज्ञ के पूरा होने की कल्पना नहीं की जा सकती, तभी तो शीर्ष नेतृत्व बहनों का और सहयोग भाइयों का, इसी सोच के तहत यह आध्यात्मिक ईश्वरीय यज्ञ सन् 1936 से आज तक चल रहा है। सच तो यह है कि न किसी को पद की इच्छा और न ही पद का गुमान, बल्कि स्वयं देहाभिमान से परे रहकर यज्ञ सेवा में जुटे भाई-बहन अपना काम बड़े ही मनोयोग से अभी तक कर रहे हैं। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के महासचिव राजयोगी ब्र.कु. बृजमोहन भाई जिनका जन्म 7 जनवरी 1934 में पंजाब के शहर अमृतसर में हुआ था।

राजयोगी ब्र.कु. बृजमोहन भाई की आध्यात्मिक यात्रा सन् 1953 में एक कॉलेज स्नातक के रूप में युवावस्था से शुरू हुई। वे भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय में मानव मूल्यों की शिक्षा पर कोर समिति के सक्रिय सदस्य रहे। उन्होंने सन् 1953 में वाणिज्य(ऑनर्स) और सन् 1955 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी, तदुपरान्त उन्होंने सन् 1956 में चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में योग्यता हासिल की।

उन्होंने भारतीय उर्वरक निगम में 17 वर्षों तक सेवा कार्य करने के बाद ईश्वरीय सेवा के लिए खुद को पूरी तरह से समर्पित करने के लिए सन् 1973 में उप वित्त प्रबंधक के पद से इस्तीफा दे दिया था।

पुराने समय के सी.ए. होते हुए भी लौकिक हिसाब-किताब छोड़कर आमजन को गीता का भगवान कौन? यह संदेश देने में जुटे रहे। उनके द्वारा वर्ष में कम से कम दो बार गीता सम्मेलन व वर्ष में कम से कम दो बार संत सम्मेलन आयोजित किए जाते रहे।

जिसमें श्रीमद्भागवत गीता से लेकर वास्तव में परमात्मा शिव की पहचान क्या है और कैसे मिला जा सकता है। राजयोगी ब्र.कु. बृजमोहन भाई ने व्याख्यान देने और राजयोग रिट्रीट आयोजित करने के लिए दुनिया के सभी पांच महाद्वीपों में यात्राएं की हैं। वे मॉरीशस में विश्व हिन्दू सम्मेलन, दक्षिण अफ्रीका में अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक सम्मेलन, कजाकिस्तान में आध्यात्मिक संस्कृति के विश्व मंच जैसे कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रतिनिधि रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र सहस्त्राब्दि में भी भाग लिया था और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ब्रह्माकुमारीज़ की मिलियन मिनट्स ऑफ पीस अपील परियोजना की प्रस्तुति भी की थी। वे मानव मूल्यों के अथक प्रवर्तक हैं और अपनी आध्यात्मिक यात्रा के पिछले आठ दशकों के दौरान उन्होंने पूरे देश में सामाजिक और आध्यात्मिक विषयों पर कई सेमिनार आयोजित किए हैं।

वर्तमान में राजयोगी ब्र.कु. बृजमोहन भाई ब्रह्माकुमारीज़ वैश्विक मुख्यालय के महासचिव पद पर होने के साथ-साथ ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के वित्त एवं लेखा विभाग के प्रमुख, मुख्य प्रवक्ता व सर्वोच्च निकाय और प्रबंध समिति के सदस्य भी रहे हैं। उनपर ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के एजुकेशनल सोसाइटी के सचिव, राजयोग शिक्षा एवं अनुसंधान फाउंडेशन नई दिल्ली के सचिव और ब्रह्माकुमारीज़ के राजनीतिज्ञ सेवा प्रभाग के अध्यक्ष पद की भी जि़म्मेदारी रही।

राजयोगी ब्र.कु. बृजमोहन भाई ब्रह्माकुमारीज़ ओमशान्ति रिट्रीट सेंटर,गुडग़ाँव,हरियाणा के प्रधान सलाहकार का दायित्व भी सम्भाला। जो उनकी कर्मठता, सजगता, समर्पण और त्याग का प्रमाण कहा जा सकता है।

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