रियलाइज़ेशन से ही परिवर्तन आता है…

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बाबा कहता है सन्देश तो सारे विश्व में पता चल गया कि ब्रह्माकुमारियां क्या हैं, कईयों को पता है ज्ञान क्या है, परन्तु पहले जो लाइट-माइट का अनुभव होता था ना, वो अनुभव हो। इतना हमारे योग का बल, कर्म का फल हो, जो राइट काम है वही करना है। इतना तो बुद्धि है, विवेक है जो थोड़ा राइट नहीं है वो मुझे नहीं करना है। तो जिसको अन्दर से यह पक्का है कि जो बात ठीक नहीं है वो नहीं करनी है, तो ऑटोमेटिक वो उससे फ्री हो जाते हैं, मैं अनुभव से कहती हूँ। किसके दबाव प्रभाव में आ करके कोई गलत काम करते हैं, यह भी माया है। किसी भी कारण से गलत काम करते हैं, यह भी माया है। किसी भी कारण से गलत काम करने से खुशी नहीं रहेगी, कोई न कोई प्रकार से सजा मिलेगी। छूटेगा नहीं जब तक रियलाइज़ नहीं किया है, माफी नहीं मांगी है।
मम्मा समझाती थी सबसे अच्छी बात है रियलाइज़ेशन, परिवर्तन उससे आता है। मैं आत्मा हूँ परमात्मा का बच्चा हूँ, कर्मों की गुह्य गति को समझा। अपने को आत्मा समझना माना उसी स्वरूप में उसको याद करना, याद से शक्ति आयेगी तो बाबा की जो नॉलेज है, धारण होगी फिर कर्म अच्छे होंगे, फिर संग अच्छा मिलेगा, धारणा सेवा कराती है। आजकल है सकाश तो खुद को भी देखते हैं, परमात्मा बाप की शिक्षा, समझानी, सावधानी से वो सकाश मिल रही है। कोई पूछते हैं तुम कैसे चलती हो? बाबा ने अपने को छिपाकर बच्चों को आगे रखा है। जो बाबा के अन्तिम घड़ी के महावाक्य हैं ना वो हर घड़ी याद रहें- निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी। हमारी अन्त मते सो गति वही होवे। निराकारी स्थिति में रहने से निर्विकारी, काम नहीं, कोई क्रोध नहीं। इस पुरुषार्थ में थकना नहीं है। जिसको पढ़ाई से प्यार है ना, उसे पढ़ाई की और पढ़ाने वाले की बहुत कदर होती है, वो कभी थकेंगे नहीं। थकने में आवाज़ चेंज हो जाता है क्योंकि मंजि़ल ऊंची है फिर मुझे पहुँचना ज़रूर है, थकना नहीं है इसलिए बाबा कहता है चित्रों के सामने जाके बैठो, यह पुरुषार्थ बहुत अच्छा है। तो समझा, हम अगर बाबा से अच्छी तरह से सकाश ले रहे हैं ना, तो कोई दूर बैठे भी खींच रहे हैं। कोई-कोई अनुभव लिखते हैं, सकाश खींच रहे हैं। अन्त मते का ख्याल रखो। बहुत काल से जो प्राप्ति है ना वही अन्त मते काम में आयेगी, अभी भी वही काम में आ रही है।
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