स्थिति को शक्तिशाली बनाने के लिए इतना करें…!

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मुरलियों से पावरफुल बातें लिखकर खुद को पावरफुल बनायें… सेवाओं का बल भी स्थिति में बल भरता है। कुछ धारणाओं का बल भी हमारे योग के बल को नष्ट होने से बचाता है। धारणाओं का बल, जैसे क्रमैं और मेराञ्ज, इसका त्याग। अगर ये दोनों अवगुण हैं तो जैसे हमारी शक्तियों के लिए हमारे अंदर लीकेज है। वो बहकर नष्ट होती रहेंगी। साथ में ज्ञान का बल, ये बात बहुत ही उपयोगी है। कइयों ने इसे यथार्थ समझा है और कर भी रहे हैं। मैंने तो इस बात को जीवन भर किया है इसलिए आपको कहता हूँ… ज्ञान की मुरलियाँ रोज़ सुन-सुन कर उनमें से कुछ सुंदर बातें अलग से अपने पास नोट करें। पच्चीस सुंदर बातें लिखेंगे। दो पेज पर नहीं पच्चीस बातें, पच्चीस पेज पर लिखें। और वो भी मोटे-मोटे अक्षरों में। कुछ दिन तक रोज़ उन्हें पढ़ते जायें। स्थिति में बल भरता जायेगा। स्थिति अचल-अडोल होने लगेगी।
मान लो ड्रामा का खेल चल रहा है और आपने बाबा की ये बात लिख ली है अपनी डायरी में कि क्रड्रामा बिल्कुल एक्यूरेट चल रहा है, ये बिल्कुल कल्याणकारी है, सभी अपना-अपना पार्ट बजा रहे हैं, यहाँ किसी का कोई दोष नहीं हैञ्ज और आपने पढ़ लिया, तो हिलती हुई स्थिति अचल हो जायेगी। तो ऐसी कम से कम सोलह पावरफुल बातें सभी को लिखनी हैं। लिखनी खुद है, मुरलियों से ढूंढकर। रोज़ की मुरलियों से। भले एक मास में लिखो, तीन मास में लिखो, वो बातें जो नशा चढ़ा दें, वो बातें जो स्थिति को श्रेष्ठ बना दें, वो बातें जो चित्त को शांत कर दें, जो भय को निकाल दें, चिंताओं को एकदम विराम लगा दें, ऐसी बातें सभी को लिखनी हैं। इनके बल से योग बल बढ़ेगा और स्थिति बहुत सुंदर हो जायेगी।

घर में बाबा का आह्वान करें… ऐसा बहुत से भाई-बहनों ने अपने-अपने घरों में किया है। तो आप भी बापदादा का पाँच बार आह्वान किया करें। जो कर रहे हैं उनके घरों में बाबा के वायब्रेशन्स फैलते रहते हैं। अनेक बातें खत्म हो जाती हैं। सबको पता है, भगवान के वायब्रेशन्स जहाँ फैल जायें वहाँ कोई निगेटिविटी, वहाँ कोई भटकती आत्मा, कोई चिंताएं और परेशानियाँ ज्य़ादा समय नहीं ठहरेंगी। इसलिए बाबा का आह्वान किया करेंगे। अब हम इस तरह बाबा का आह्वान करेंगे…। ले चलें बुद्धि को परमधाम…। बहुत एकाग्रता के साथ भगवान से मिलन का सुखद अनुभव। देखें परमधाम में सबसे ऊपर चमक रहे हैं ज्ञान सूर्य… जो हमारे खुदा दोस्त हैं। मन के सच्चे मीत… जिन्होंने आकर हमारी जन्म-जन्म की थकान मिटा दी है। जिन्होंने प्यार भरी दृष्टि देकर हमारे कष्ट हर लिये। जिसे हम युगों से ढूंढते थे, ये वही हैं… निराकार महाज्योति। चमक रहे हैं परमधाम में। बहुत प्यार से निमंत्रण दें… हे सर्वशक्तिवान… प्यार के सागर… अपना धाम छोड़कर हमारे पास आ जाओ। हमारे आह्वान पर बापदादा दोनों आ गये हमारे सम्मुख… बिल्कुल अपने सामने देखें… उनकी तेजस्वी किरणें चारों ओर फैल रही हैं… दृष्टि दे रहे हैं… बोले बच्चे, मेरे से जो चाहे ले लो… अधिकार से मांग लें जो चाहिए… परम सद्गुरू प्रसन्न हैं…। सिर पर हाथ रखकर, तथास्तु कहकर वापिस गये अपने धाम। ये बहुत सुंदर अभ्यास सभी को रोज़ अपने घरों में पाँच-पाँच बार अवश्य करना है। आप उनसे जुड़े रहेंगे और घर में आह्वान की आदत पड़ जायेगी। कोई भी ऐसी-वैसी बात अचानक हो जाये, आह्वान की आदत उसके मदद का पात्र बना देगी।
मुझे एक छोटा-सा अनुभव याद आ गया। कितनी मदद होती है बाबा की! हमलोग एक बार गये चाइना बॉर्डर की तरफ। बर्फ गिर गई। बर्फ गिर गई तो गाड़ी स्लिप होने लगी। ड्राइवर तो घबरा गया। जैसे ही स्लिप हो, और वो ब्रेक लगाये, गाड़ी अनकंट्रोल्ड घूमने लगे। एक जगह ऐसा आ गया, ब्रेक लगा दिया और गाड़ी गड्ढ़े में गिरने लगी लेफ्ट साइड में। और हम जो पाँच-सात उस बड़ी गाड़ी में बैठे थे, सबके मुख से एक साथ निकला बाबा… बाबा…। और आप हैरान होंगे, गाड़ी का लेफ्ट पहिया वहीं एक गड्ढ़ा हुआ और उसमें धंस गया। गाड़ी रुक गई। एक सेकंड के अंतर से सब नीचे होते, मृत्यु निश्चित थी। लेकिन सबको एक साथ, मैं सोच रहा था कि देखो कितना सुंदर अवसर था, सबको एक साथ संकल्प आया बाबा…। ये भी नहीं कहा, बाबा आ जाओ। उतना भी मौका नहीं था। बाबा…। और सुनवाई हो गई। तो हमें ऐसी आदत पड़ जाये। अचानक कुछ हो जाये या होने लगे, क्योंकि जब प्राकृतिक प्रकोप शुरु हो जायेंगे तो सारा खेल अचानक चलेगा। पता ही नहीं अगले मिनट क्या हो जाये! ऐसे में अगर बाबा का आह्वान होगा, बाबा की पावरफुल स्मृति हो जायेगी तो अनेक वंडरफुल अनुभव होंगे। ये भी अपने पर विजय होगी।

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