जैसे और तैयारी हम करते हैं ना, जैसे हमें लगता है कि अब कफ्र्यू लग जायेगा तो एक हफ्ते का राशन रख लें। ऐसा न हो आटा बीच में ही खत्म हो जाये! तेल भी खत्म हो जाये! अब सब कुछ हो और गैस ही न हो! और कुछ हो, माचिस ही न हो! बाबा उदाहरण दिया करते थे, उन दिनों में लाइटर वगैरह नहीं थे। नमक ही न रहे घर में! तो मज़ा कम हो जायेगा ना! जैसे ये तैयारी करते हैं, वैसे ही आने वाले समय को ख्याल में रखते हुए अपनी स्थिति की भी तैयारी करें। डब्ल्यू.एच.ओ. ने कह दिया था कि 2020 के बाद डिप्रेशन इस संसार में महामारी बनकर आयेगा। तीन साल तो बीत गये, अब तो अनेक मानसिक रोग तेज़ी से फैलते जा रहे हैं। खासकर के युवकों में।
इस तरह की बीमारी से बचने के लिए हमें मोबाइल का कम प्रयोग, सिर के पास रखकर तो सोना ही नहीं है। अगर आप अपने बेड रूम को मोबाइल-फ्री बना दो तो बहुत अच्छा रहेगा। आपने देखा होगा, आपका फोन टेबल पर रखा है यहाँ और फोन आ गया कहीं से तो फोन नाचने लगता है ना! वायब्रेशन इतने तेज़ निगेटिव फैलते हैं, और आपने अपने सिर के पास रखा है और उसे बंद नहीं किया या फ्लाइट मोड पर नहीं किया तो उसकी बैड एनर्जी आपके ब्रेन को कमज़ोर करती जायेगी। युवकों में और बच्चों में ये बड़ा कारण हो रहा है। अब वे मानेंगे तो नहीं आपकी, ये तो सब जानते हैं। फिर भी कोशिश करनी है बचने और बचाने की अपने परिवारों को बहुत खुशी में रहना, ये मानसिक रोगों से बचने की विधि है। बातों को हल्का करना। बातें बड़ी या मेरा जीवन बड़ा! बातें बड़ी या मेरी स्थिति बड़ी! तो सभी हल्के रहेंगे। स्वीकार करेंगे अपने जीवन को, अपने नेचर को, मेंटेलिटी को, खुश रहें। छोटी-छोटी बातें हमें परेशान न कर दें, छोटी-छोटी बातें हमें चिंताओं में डुबो न दें। स्मृति रखें, बाबा भी तो है न हमारे साथ। भगवान हमारा साथ दे रहा है। मनुष्य क्या साथ देंगे! विनाश काल में सबको दिखाई देगा, मनुष्यों के साथ नहीं। काम ही नहीं करेगा। कोई दे भी नहीं पायेगा। बस भगवान साथ दे रहा है, यह अपने में समा लें। अब चिंतायें थोड़ी उसको भी दे दो! ज़रूरी है अपने पास रखना! माल है? क्या बहुत अच्छा माल है! खज़ाने हैं, चिंतायें, परेशानियां! यही तो हैं ना! दे दो ज़रा उनको! बोझ उनके हवाले करके देखो। अनुभव करके देखो। तब योगी बन जायेंगे।
योग के लिए सरल बातें- बुद्धि को स्वच्छ करना है, मन के विचारों को श्रेष्ठ करते चलना है। और जो बातें की हैं हमने, उन्हें छोड़ देना है। त्याग कर देना है उनका। योगी बनने की लगन लगानी है। सबसे अच्छी, सबसे सहज पुरुषार्थ की विधि है, तीन-तीन मास की प्लानिंग, तीन-तीन बातों में। कोई एक धारणा ले लो, मुझे खुशी नहीं रहती, अब तीन मास में मैं अपनी खुशी को बढ़ाऊंगा। प्वाइंट मिलेगी मुरलियों से। मुरलियां तो हमारे पास भरपूर हैं। तीन मास मुझे खुश रहना है। मेरी खुशी को कोई छीन नहीं सकेगा। कोई गाली देकर चला जाये, मैं मुस्कुराऊंगा। संकल्पों में ताकत है ना! संकल्प नहीं लिया होगा तो इसने ऐसा क्यों बोला, हाय मेरा अपमान कर दिया चार लोगों के बीच! हो रहे हैं दु:खी। गाली देकर गया, अपमान करके गया, आप खुश हैं, तो जो चार लोग आपके पास खड़े हैं वो आपकी महिमा नहीं गायेंगे! आप कितने अच्छे हो, वो कितना बुरा बोल गया, फिर भी मुस्कुरा रहे हो! बाबा की ये बहुत बड़ी सेवा हो जायेगी न! ऐसे संकल्प करो पॉवरफुल, संकल्प में ताकत है।
एक-दो स्वमान ले लो तीन मास के लिए और एक योग का लक्ष्य रख लो कि इतना योग रोज़ करना है। थोड़ा बैठ करके भी करना है। दस-दस, पंद्रह-पंद्रह मिनट चार बार बैठो दिन में। चाहे आप कोई भाई-बहनें घरों में हैं, उन्हें भी प्लानिंग करके योग में बैठना है। तो एक लक्ष्य बना लो, इस दस मिनट में मुझे पाँच स्वरूप का अभ्यास करना है। इस पाँच मिनट में मुझे आत्मा के सातों गुणों का चिंतन करते हुए उसका अनुभव करना है। इस दस मिनट में मुझे सूक्ष्म वतन और परमधाम की यात्रा करनी है। लक्ष्य के बिना मन ज्य़ादा भटकता है। तो चार बार बैठना तीन मास के लिए, बाद में बदल दो। इस तरह और स्वमान लेकर भी संकल्प लेना है और समयावधि में उसे अनुभव करना है। तो तैयार हो जाओ। अब ऐसी तपस्या कर बापदादा के दिलतख्तनशीन बनने के लिए। मन से छोड़ दो इन सबको। नहीं तो समय मजबूरी से छुड़ायेगा। तैयार हैं ना! अब नहीं तो कब नहीं।