दूसरों की मदद करना सीखें…

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एक दिन की बात है। सुनीता को बुखार चढ़ गया, उसकी माँ उसको डॉक्टर के पास लेकर गयी तो पता चला कि उसको डेंगू हो गया है। डॉक्टर ने पचास हज़ार रूपये मांगे। सुनीता की माँ के पास कुछ गहने थे। उसने अपने गहनों को बेच दिया और कुल मिलाकर चालीस हज़ार ही हो पाया। सुनीता की माँ ने डॉक्टर से बोला आप इतना ले लो और मेरी सुनीता को बचा लो। लेकिन डॉक्टर ने बोला हम तो पूरे पैसे लेने के बाद ही एडमिट करते हैं, उसकी माँ रोती रही लेकिन कोई ने नहीं सुना।
वह अपनी मालकिन के पास गयी और उसको सारी बात बतायी तो उसने भी बोला मैं नहीं दूंगी इतना पैसा। सुनीता की माँ का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था, पूरा दिन बीत गया और उसकी बेटी की तबियत और खराब हो गयी। उसकी माँ ने पूरी रात कुछ भी नहीं खाया और कब सो गयी यह भी पता नहीं चला। सुबह जब वो सोकर उठी तो उसने देखा कि सुनीता अभी भी सोयी है, उसके पास जाकर उसके हाथ को पकड़ा तो डर गयी और ज़ोर से रोने लगी क्योंकि सुनीता मर चुकी थी। सिर्फ दस हज़ार रूपये के लिए किसी ने भी उसकी मदद नहीं की और उसकी जान चली गयी।
शिक्षा : कब तक हम लोग ऐसा करेंगे, पैसा ही सबकुछ नहीं होता है। आज सुनीता के साथ है कल आप के साथ भी ऐसा हो सकता है, इसलिए दूसरों की मदद ज़रूर करें।

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